src='https://www.googletagmanager.com/gtag/js?id=G-892JG4KGS4'/> CCLE की अवधारणा क्या है सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन की आवश्यकता What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

CCLE की अवधारणा क्या है सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन की आवश्यकता What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation



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परिचय - सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन  की आवश्यकता

Education children के सर्वांगीण विकास का आधार होने के कारण प्रारम्भिक स्तर पर एक सार्वभौमिक आवश्यकता है। हमारे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में CCLE की अवधारणा क्या है सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन  की आवश्यकता What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation  शिक्षा का लक्ष्य बच्चों के लिये ऐसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है , जिससे बच्चों में प्रजातांत्रिक मूल्य व व्यवहारों के प्रति Commitment, social, economic, gender and other needs के प्रति संवेदनशीलता तथा सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की क्षमता उत्पन्न हो। आप इस लेख में जानेगे महत्वपूर्ण कुछ vedio की लिंक दी गई है और कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उसके उत्तर दिए गए है अतः आखिर तक जरुर पढ़िए . 
 
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श्री रविकान्त ठाकुर सर का प्रसिद्ध गाना हम शिक्षक है शिक्षक की तस्वीर बदल देंगे 
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RTE Right to Education निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 ने शिक्षा को एक ऐसी सतत गतिशील प्रक्रिया के रूप में देखा है, जो बच्चों को गरिमामय जिन्दगी उपलब्ध कराती है और जहाँ बच्चे ’भय’ और ‘तनाव’ से मुक्त होकर ज्ञान का सृजन करते हैं।

उपयोगिता - सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन  की आवश्यकता

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  1. इसका अभिप्राय यह है कि ऐसी Child Centered and Child Friendly Education हो जो असमानता को दूर करने के साथ-साथ समान academic को उपलब्ध कराती हो। race, religion, creed or gender के भेदभाव के बिना सभी students की पहुंच गुणवत्तापरक शिक्षा तक हो। साथ ही शिक्षा विद्यार्थियों में Curiosity Creativity Objectivity जैसी योग्यताओं तथा मूल्यों का विकास करते हुए समस्या समाधान तथा निर्णय लेने के कौशल को विकसित करती हो।
  2. इन सरोकारों पर चिन्तन करते हुए National Curriculum Framework-2005 में education goals के संबंध में ‘‘बच्चों को क्या पढ़ाया जाय और कैसे पढ़ाया जाय’’ की कसौटी पर व्यापक रूप से विचार किया गया है।
  3.  इस दस्तावेज में प्रारम्भिक स्तर पर शिक्षा प्रक्रिया में Knowledge को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ने, पढाई को rote system से मुक्त करने, पाठ्यचर्या को बच्चों के all round development का माध्यम बनाने, Exam को लचीली और classroom activities से जोड़ने और छात्रों में development of human values करने पर बल दिया गया है। यह समझ भी बनी कि सही मायने में बच्चों की शिक्षा तभी हो पायेगी जब उनके पास इसका अवसर होगा कि वे अखंड अनुभव की पूर्ण रचना कर सके व knowledge creation कर सके।

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 ज्ञान की समझ -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

  1. प्रारम्भिक Education का लक्ष्य बच्चों में scientific attitude and logical thinking की प्रवृत्ति का विकास करना है ताकि उनमें संस्कृति, परंपरा तथा समुदाय के अंधानुकरण के स्थान पर Welfare of humanity, culture and tradition of other communities के प्रति सम्मान विकसित हो और वे गरीबी, लिंग भेद, जाति तथा सांप्रदायिक झुकाव आदि शोषण व अन्यायपूर्ण व्यवहारों से मुक्त हो सकें। शिक्षा का लक्ष्य वैयक्तिक विशिष्टता को सम्मान प्रदान करना भी है। प्रत्येक बच्चे में अपनी Abilities, Abilities and Skills होते हैं जिनके संवर्द्धन से न केवल वैयक्तिक जीवन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि समुदाय का जीवन भी समृद्ध होगा।
  2. इन शैक्षिक लक्ष्यों की पूर्ति तभी संभव है जब Students के development assessment करने के लिए वैध एवं विश्वसनीय पद्धति भी हो। ऐसा अनुभव रहा है कि विद्यालयों में मूल्यांकन का जोर शिक्षा के सरोकारों पर प्रतिपुष्टि प्राप्त करने के स्थान पर यह जानने में रहा है कि कौन-कौन से बच्चे पास या फेल हैं। 
  3. इसके अतिरिक्त Schools में लागू Methods of Assessment Education के लक्ष्यों के संबंध में समग्र प्रतिपुष्टि (फीडबैक) नहीं प्रस्तुत करती हैं, वरन् केवल चुनिंदा आयामों पर बच्चे के academic and academic progress के बारे में ही जानकारी देती हैं। उक्त सीमित उद्देश्यों के दृष्टिगत भी अभी प्रचलित मूल्यांकन व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता है।

बच्चो की प्रतिभा की समझ  -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

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  1. Children, School and Assessment- आमतौर पर ऐसा सोचा जाता है कि बच्चे ’कोरी स्लेट’ होते हैं, जिन्हें उन information and knowledge से भरना है जो Teacher के ही पास हैं। किन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता है। 
  2. जब Childern पहली बार class Admission करते हैं, तब उनके पास बहुत से अनुभव होते हैं। 
  3. Inherent learning ability in every child होती है तथा अपने अनुभवों से वह अपने ज्ञान का खुद सृजन करता है। अतः बच्चे पहले से जो भी know and understand हैं, उसके आधार पर ही आगे कुछ सिखाने की योजना बननी चाहिए। 
  4. School के अनुभव तथा बच्चे की बाहर की दुनिया के अनुभव को कल्पनापूर्ण ढ़ंग से जोड़कर हम विद्यालयी वातावरण के ’अजनबीपन’ को कुछ कम कर सकते हैं। 
  5. School  के पास बच्चे को देने के लिए नए और रुचिकर अनुभव हो सकते हैं लेकिन ऐसा कदापि प्रतीत नहीं होना चाहिए कि वे बच्चे के अनुभवों की अनदेखी कर रहा है। 
  6. सीखना एक सतत् प्रक्रिया है इसलिए ’सीखना’ सिर्फ विद्यालय में ही नहीं होता। 
  7. कक्षा में सीखने की प्रक्रिया को घर में जो कुछ भी हो रहा है, उससे जोड़ा जाना जरूरी है।

बच्चो की अभिरुचि की समझ   -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

  • शिक्षण सामान्य बातचीत के माध्यम से होना चाहिए न कि एकतरफा भाषण की रीति से यह बातचीत का ही तरीका हो सकता है, जिससे बच्चे का आत्मविश्वास और उसकी स्व-चेतना बढ़ेगी तथा वह ज्यादा सरलता से अपने तथा शिक्षक के द्वारा दिए जा रहे अनुभवों के बीच रिश्ता बनाएगा। सीखना ’समग्रता’ में ही संभव है न कि minimum learning level आधारित Curriculum and Assessment System में, जहाँ ज्ञान को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा या विषयों में बाँटा जाता है। इसलिए सीखने के लिए consolidated method ही बेहतर है।
  • हर बच्चे की अपनी पसंद, नापसंद, रुचियां, परिवेश, कौशल, अनुभव और व्यवहार के तरीके होते हैं। इस प्रकार हर बच्चा अपने आप में अद्वितीय है। चूंकि प्रत्येक बच्चा अपने आप में एक अद्वितीय व्यक्ति तथा किसी भी स्थिति के प्रति अपने ही ढंग से प्रतिक्रिया करता है। इसलिए बच्चों के लिए सीखने-सिखाने की योजना बनाते समय यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम उनमें पाई जाने वाली भिन्नताओं को पहचान सकें और इस सच्चाई को भी स्वीकार करें कि वे सीखने के दौरान भिन्न-भिन्न तरीके से प्रतिक्रिया करते और समझते हैं। इसलिए आकलन ऐसा हो जो यह सुनिश्चित कर सके कि यह विविधता अपने पूर्ण रूप में निखरे।
  • आकलन केवल याद करने की क्षमता का नहीं होना चाहिए। मूल्यांकन में इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि उसे जो पढ़ाया गया है, उसका अपने जीवनानुभव तथा दूसरी अन्य चीजों से संबंध जोड़ने की योग्यता, सीखी गयी चीजों के बारे में नए और सटीक प्रश्न बनाने की क्षमता, अपने पाठों में सही और गलत के विचार से विचलन को देख पाने की क्षमता विकसित हो। 
  • मूल्यांकन के द्वारा विद्यालय उसमें इस प्रकार की क्षमताएं विकसित करने का प्रयत्न कर सकता है। तात्पर्य यह है कि सभी बच्चे दी जा रही सूचनाओं के अर्थ अपने पूर्व अनुभवों और अधिगम के आधार पर अपनी ही तरह से बना लेते हैं। यही प्रक्रिया बच्चे को अपनी समझ बनाने और निष्कर्ष निकालने के लिए प्रेरित करती है। ज्ञान तक पहुँचने, उसे प्राप्त करने की हर बच्चे की यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।
  • आकलन की समझ व पारम्परिक मूल्यांकन की प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता: वर्तमान समय में प्रदेश के विद्यालयों में पारम्परिक मूल्यांकन की जो प्रणाली लागू है, उसके अन्तर्गत वार्षिक और अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अतिरिक्त सत्र के मध्य में भी ली जाने वाली दो परीक्षाओं- कुल मिलाकर चार लिखित परीक्षाओं के माध्यम से मूल्यांकन का प्रावधान है। वर्तमान मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी तरह से औपचारिक ताने-बाने में गुँथी हुअी है। निश्चित अवधि के अंतराल पर मौखिक/लिखित परीक्षा के दिन तय किये जाते हैं।
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RTE And NCF की अवधारणा सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन   -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

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  • आर.टी.ई.-2009 और एन.सी.एफ.-2005 में यह बार-बार कहा गया है कि बच्चे के अनुभव को महत्व मिलना चाहिए एवं उसकी गरिमा सुनिश्चित की जानी चाहिए, परन्तु यह तब तक पूर्णतया संभव नहीं है जब तक कि प्रचलित मूल्यांकन पद्धति में परिवर्तन न किया जाय। 
  • वर्तमान मूल्यांकन व्यवस्था में किसी समय विशेष पर लिखित परीक्षा की व्यवस्था है, जबकि छात्र का संवृद्धि एवं विकास सम्पूर्ण सत्र में विकसित होता है। इस तरह के मूल्यांकन से कुछ बच्चों को असुरक्षा, तनाव, चिंता और अपमान जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। 
  • सावधिक परीक्षाओं से यह तो पता चलता है कि बच्चे कितना जानते हैं, पर यह नहीं पता चलता कि जो नहीं जानते उनके न जानने के क्या कारण हैं। इस तरह का मूल्यांकन पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाई गई विषयवस्तु और रटंत प्रणाली द्वारा प्राप्त की गई जानकारी/ज्ञान का मूल्यांकन करने तक ही सीमित है। 
  • अधिकांशतः यह बच्चों में तुलना करने जैसे भाव रखता है और अवॉंछनीय प्रतिस्पर्धा को जन्म देता है। वर्तमान व्यवस्था में केवल बच्चे की अकादमिक प्रगति का मूल्यांकन होता है, जबकि बच्चे के सर्वांगीण विकास में अकादमिक प्रगति के साथ-साथ उसकी अभिवृत्तियों, अभिरुचियों, जीवन-कौशलों, मूल्यों तथा मनोवृत्तियों में होने वाले परिवर्तनों का भी समान महत्व होता है।

कुछ सवाल - सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन  What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

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इस प्रकार की स्थितियॉं कुछ महत्वपूर्ण सवालों की तरफ हमारा ध्यान खींचती हैं जैसे-
  •  हम किस चीज का मूल्यांकन कर रहे हैं? 
  • क्या टेस्ट/परीक्षाओं के अतिरिक्त बच्चों का मूल्यांकन करने की कुछ और विधियाँ भी हो सकती हैं?
  •  क्या अंकों और ग्रेड के रूप में रिपोर्ट करना पर्याप्त है? 
  • मूल्यांकन संबंधी सूचनाए किस तरह मदद करती हैं?
  •  हम अपने काम को कठिन बनाए बिना भिन्न-भिन्न पृष्ठभूमि से आये, और विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के सीखने के बारे में सूचनाए किस प्रकार से इकट्ठी कर सकते हैं?

बच्चो की सिखने की समझ -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation


  •    अब यह सर्वमान्य तथ्य है कि प्रत्येक बच्चे की प्रकृति एवं सीखने की गति में भिन्नता होती है तथा वे अलग-अलग विधियों से सीखते हैं। हर विषयवस्तु को सीखने-सिखाने की विधियां में भिन्नता होने के कारण प्रत्येक बच्चे की प्रस्तुति एवं अभिव्यक्ति भी पृथक एवं विशिष्ट होती है। 
  • अतः यह आवश्यक है कि बच्चों का मूल्यांकन कागज-कलम परीक्षा के अतिरिक्त अन्य विधाओं द्वारा भी किया जाये। अन्य विधाओं के प्रयोग से बच्चों की स्मृति क्षमता के स्थान पर अन्य उच्चतर क्षमताओं यथा-अभिव्यक्ति, विश्लेषण, समस्या का समाधान एवं अनुप्रयोग आदि दक्षताओं का विकास संभव होगा।
  •  चूॅंकि प्रत्येक बच्चे की प्रकृति विशिष्ट है और शिक्षण पद्धतियाँ भी भिन्न होती हैं, अतः एक समान मूल्यांकन पद्धति उपयुक्त नहीं हो सकती है।
  • इन तथ्यों को ध्यान में रखकर निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में बच्चों के सीखने और उसे उपयोग करने की योग्यताओं का सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन करने का प्राविधान किया गया।
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Mr रविकान्त ठाकुर सर समन्वयक Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

RTE को जोड़ना -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

Right To Education निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की धारा 29 की उपधारा (2) के अनुसार evaluation process in education में निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान रखा जाना आवश्यक हैः-

(ख) - बच्चों का सर्वांगीण विकास हो।

(घ) - शारीरिक और मानसिक योग्यताओं का पूर्णतम मात्रा तक विकास हो।

(ज) - बच्चों के सीखने की क्षमता, ज्ञान और उसके अनुप्रयोग की क्षमता का व्यापक और सतत् मूल्यांकन हो।


सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन का आशय  -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation


  • यहाँ सतत एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ यह कदापि नहीं है कि बच्चों की Annual, half yearly and session examinations के अतिरिक्त Monthly, fortnightly or weekly examinations ली जाये। बच्चे के विकास का सतत मूल्यांकन एक सामयिक घटना (सत्र परीक्षा या वार्षिक परीक्षा) नहीं होती वरन् यह शैक्षणिक सत्र की समूची अवधि में लगातार चलती है। 
  • दूसरी ओर व्यापक का आशय अकादमिक प्रगति के साथ-साथ बच्चे के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास की भी जानकारी प्राप्त करना है। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में पाठ्यक्रमीय दक्षताओं और कौशलों का विकास करना मात्र न होकर छात्रों का सर्वांगीण विकास करना है।
  •  मूल्यांकन में सततता के साथ-साथ व्यापकता का तत्व समाहित किये बिना बच्चों के सर्वांगीण विकास के लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव नहीं है। इसके लिए आवश्यक है कि बच्चों के शारीरिक विकास, नियमित उपस्थिति, खेलों तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में सहभागिता, नेतृत्व क्षमता, सृजनात्मकता आदि व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों के क्रमिक विकास का सतत मूल्यांकन किया जाता रहे।
  • ‘‘सतत एवं व्यापक’’ मूल्यांकन प्रक्रिया के द्वारा शिक्षण-अधिगम के समय ही शिक्षक को छात्रों के सीखने की प्रगति और कठिनाईयों के बारे में निरन्तर जानकारी मिलती रहेगी। इस प्रकार की व्यवस्था में एक दीर्घ अन्तराल के बाद चलाए जाने वाले उपचारात्मक शिक्षण की आवश्यकता भी समाप्त हो जायेगी, क्योंकि छात्र की कठिनाई का समय रहते निदान और उपचार हो सकेगा तथा यथासमय ही कठिनाइयों का निवारण होने से छात्रों में आत्मविश्वास जाग्रत होगा, सीखने की प्रक्रिया सुगम होगी और छात्रों के मन से परीक्षा विषयक भय और तनाव भी दूर होगा। 
  • इस क्रम में शिक्षक और छात्र के बीच जो संवाद और आत्मीयता के संबंध विकसित होंगे, उनसे छात्रों की उपस्थिति में तो वृद्धि होगी ही साथ ही साथ बीच में विद्यालय छोड़ जाने वाले ;कतवचवनजद्ध छात्रों की संख्या में भी गिरावट आयेगी।

सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन का महत्व  -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

  • उपर्युक्त चर्चा से यह स्पष्ट है कि वर्तमान विद्यालयी शिक्षण/मूल्यांकन व्यवस्था में व्यापक व्यवस्थागत सुधारों की जरूरत है। मूल्यांकन की प्रक्रिया कक्षाओं में चल रही सीखने-सिखाने की ही एक प्रक्रिया है एवं मूल्यांकन के वही तरीके अच्छे होते हैं जो बच्चों के सीखने की गति और सीखने के तरीकों के अनुरूप होते हैं। बच्चा कक्षा के अनुभवों से ज्ञान का सृजन कर सके, शिक्षण बच्चे की सीखने की सहज इच्छा को समृद्ध करे तथा मूल्यांकन की प्रक्रिया बच्चों के सीखने की गति और सीखने के तरीकों के अनुरूप रहे, इसको ध्यान में रखकर शिक्षण-अधिगम/मूल्यांकन प्रक्रिया में वॉंछित परिवर्तनों पर हस्तपुस्तिका में गहन चिन्तन किया गया है। 


तद्नुरूप बच्चों की शैक्षिक प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए विविध अध्यायों में विस्तृत रूप से वर्णित व्यवहारिक, वैध एवं विश्वसनीय प्रणाली की रूपरेखा का संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है:-

  1. अध्याय-1 ‘‘Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation: बुनियादी समझ‘‘ में बच्चों के सीखने के सन्दर्भ में Educational evaluation क्यों किया जाना चाहिए, किस-किस पक्ष का किया जाना चाहिए, कब किया जाना चाहिए, कैसे किया जाना चाहिए और मूल्यांकन से प्राप्त फीडबैक का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए की कसौटी पर व्यापक रूप से विचार किया गया है।
  2. अध्याय-2 ‘‘बच्चों की प्रगति के संकेतक’’ में पाठयचर्या के विशेष उद्देश्यों के अनुरूप विभिन्न विषयों में बच्चों की प्रगति के आकलन के लिए आवश्यक संकेतकों की सुझावात्मक सूची और किसी संकेतक से संबंधित जानकारी प्राप्त करने की रणनीतियों पर चर्चा की गयी है।
  3. अध्याय-3 ‘‘बच्चों के साथ काम और आकलन’’ में बच्चों में विभिन्न प्रकार की क्षमताओं को और बच्चों द्वारा प्राप्त अधिगम के आकलन के लिए विभिन्न तरीकों की आवश्यकता पर चर्चा की गयी है।
  4. अध्याय-4 बच्चों के साथ काम और आकलन को रिकॉर्ड करना’’ में बच्चों के साथ काम के दौरान अपने अनुभवों एवं अवलोकनों को व्यवस्थित रूप से विभिन्न प्रपत्रों पर दर्ज करने पर चर्चा की गयी है एवं प्रपत्रों के नमूने तथा आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं।

सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन का सारांश  -What is the Concept of CCLE Need for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation

बच्चों के मूल्यांकन की यह सतत एवं व्यापक प्रक्रिया कोई पृथक गतिविधि न होकर सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का अभिन्न, सतत् और सारगर्भित अंग होगी। बच्चे की प्रगति के लिए आवश्यक है कि मूल्यांकन की प्रक्रिया बाल केन्द्रित हो, कक्षा में पायी जाने वाली विविधता को समझने वाली हो, आवश्यकता के अनुसार लचीली हो तथा हर बच्चे की आयु, सीखने की गति, शैली और स्तर के अनुसार चलने वाली हो।

FAQ कुछ प्रश्न 


1-CCLE सतत और व्यापक मूल्यांकन की क्या आवश्यकता है? 

  • निरंतर और व्यापक सीखने और मूल्यांकन के लिए CCLE की आवश्यकता के लिए छवि परिणाम सीसीई Teacher को प्रभावी शिक्षण के लिए अपनी रणनीतियों को व्यवस्थित करने में मदद करता है। निरंतर मूल्यांकन शिक्षक को कमजोरियों का पता लगाने और कुछ Student की सीखने की शैलियों की पहचान करने की अनुमति देता है। नियमित रूप से एक छात्र की सीखने की कठिनाइयों की पहचान करके, यह छात्र के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करता है।

2-EVS शिक्षण अधिगम में निरंतर और व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता क्यों है?

  •  यह शिक्षार्थी को शिक्षा के उन क्षेत्रों को निर्धारित करने में मदद करता है जहां अधिक जोर देने की आवश्यकता है। सतत और व्यापक मूल्यांकन योग्यता और रुचि के क्षेत्रों की पहचान करता है। यह दृष्टिकोण और मूल्य प्रणालियों में परिवर्तन की पहचान करने में मदद करता है
3-सतत और व्यापक मूल्यांकन से क्या तात्पर्य है?

  •  सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) एक student learning system को संदर्भित करता है, जो छात्र विकास से संबंधित गतिविधियों के सभी पहलुओं को शामिल करता है। यह व्यापक रूप से सीखने के Continuity of evaluation and evaluation of results जैसे दो गुना उद्देश्यों पर जोर देता है
4-CCLE क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं? 

  •  परिणाम सीसीई परीक्षा योजना छात्रों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन, पसंद, योग्यता और रुचियों के आधार पर 11वीं कक्षा में विषयों की बेहतर और अच्छी तरह से सूचित पसंद करने की अनुमति देती है। अतिरिक्त जीवन कौशल, भावनात्मक कौशल और सोचने की क्षमता को प्रोत्साहित करता है

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