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What are the steps in remedial teaching plan and important in Hindi


     

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What are the steps in remedial teaching plan and important in Hindi-


उपचारात्मक शिक्षण remedial teaching एक कक्षा स्तर के अनुरूप तय की गई पाठ्यक्रम के लक्ष्य को प्राप्त न कर पाने वाले छात्रों के लिए एक निदानात्मक प्रक्रिया है। उपचारात्मक शब्द अंग्रेजी के रिमेडियल (Remedial) का हिंदी hindi रूपांतरण है रिमेडियल (Remedial) शब्द चिकित्सा शास्त्र के रिमेडी (Remedy) से लिया गया है, जिसका अर्थ है - उपचार करना या इलाज । उपचारात्मक शिक्षण remedial teaching को परिभाषित करते हुए योकम एवं सिम्पसन ने लिखा है कि – “उपचारात्मक शिक्षण remedial teaching उस विधि को खोजने का प्रयत्न करता है जो छात्र को अपनी कुशलता या विचार की त्रुटियों को दूर करने में सफलता प्रदान करें”

उपचारात्मक शिक्षण remedial teaching की परिभाषा देते हुए ब्लेयर जोंस ने लिखा है कि “उपचारात्मक शिक्षण remedial teaching वास्तव में उत्तम शिक्षण है जो छात्र को अपनी वास्तविक स्थिति का ज्ञान प्रदान करता है और जो सुप्रेरित क्रियाओं द्वारा उनको अपनी कमजोरियों के क्षेत्रों में अधिक योग्यता की दिशा में अग्रसर करता है”

समस्त जिले म.प्र.  को Lok Shikshan Sanchalnalay Madhyapradesh  शासकीय Govrnment High  हाई एवं higher secondary school हायर सेकेन्डरी विद्यालयों में निदानात्मक कक्षाओं (Remedial teaching) का संचालन के आदेश जारी किये है .

Objective of remedial teaching रेमेडियल टीचिंग अर्थात निदानात्मक शिक्षण का उद्देश्य विद्यार्थियों की पाठ्यक्रम संबंधी कठिनाईयों का निदान करना, उनकी कठिनाईयों/समस्याओं को दूर करने में सहायता के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना है, ताकि विद्यार्थी अगली कक्षा में जाने के लिए तैयार हो सके। रेमेडियल टीचिंग के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि शाला के प्राचार्य नियमित कक्षाओं की तरह रेमेडियल कक्षाओं के संचालन तथा इसके उद्देश्य के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित करें। रेमेडियल टीचिंग हेतु निम्नानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें - 
  •  Quarterly Examination on Vishaar Portal परिणाम की प्रविष्टि की गई है । त्रैमासिक परीक्षा परिणाम का विश्लेषण करें। 
  • त्रैमासिक परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर कक्षा 9 तथा कक्षा 10 में औसतन 50 प्रतिशत विद्यार्थी, एवं कक्षा 11 एवं 12 में भी लगभग 30 से 35 प्रतिशत विद्यार्थी सी, डी एवं ई ग्रेड में है। अतः ऐसी स्थिति में सभी कक्षाओं (9वीं, 10वीं, 11वीं एवं 12वीं) के लिए रेमेडियल कक्षाओं का संचालन अनिवार्य होगा। 
  • राज्य स्तर से समस्त शिक्षकों, प्राचार्यों एवं अधिकारियों का उन्मुखीकरण शीघ्र ही किया जायेगा। अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे अपने जिले के शिक्षकों एवं प्राचार्यों के साथ रेमेडियल कक्षाओं के संचालन पर एक बैठक 25 नवम्बर तक आयोजित करने की कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। 
  • 1. ग्रेड आधार पर सेक्शन बनाना- त्रैमासिक परीक्षाओं में विद्यार्थियों के ग्रेड के आधार पर सेक्शन पुन: बनाये जाएं। 
  1. ऐसी School  जहाँ एक से अधिक सेक्शन हैं वहाँ सी, डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों के लिए पृथक सेक्शन बनाया जाये ताकि विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप पठन-पाठन हो सके। 
  2.  ऐसी शालाएं जहाँ एक ही सेक्शन है वहाँ सी, डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षक द्वारा निर्णय लिया जायेगा कि उसे किस तरह पढ़ाना है। यदि कक्षा में अधिकांश विद्यार्थी सी डी ई ग्रेड में है तो उन्हें रेमेडियल टीचिंग मॉड्यूल ही पढ़ाया जाएगा एवं बी ग्रेड के विद्यार्थी को अलग से पढ़ाने की व्यवस्था करेंगे। 
  3.  त्रैमासिक परीक्षाओं में ई ग्रेड को भी दो भागों E. एवं E में बाँटा जाता है, ताकि विद्यार्थियों के वास्तविक स्तर की जानकारी शिक्षक को हो सके। वह विद्यार्थियों को इस तरह पढाये कि विद्यार्थी न्यूनतम दक्षता प्राप्त कर सके।   

 2. रेमेडियल कक्षाओं हेतु सामग्री - What are the steps in remedial teaching plan and important in Hindi





  •  निदानात्मक कक्षाओं हेतु कक्षा 9 एवं 10 के लिए हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान कुल पाँच विषयों के मॉड्यूल विमर्श पोर्टल पर भी उपलब्ध करवायें जायेंगे। 
  •  निदानात्मक कक्षाओं हेतु तैयार मॉड्यूल को वार्षिक परीक्षा के ब्लू-प्रिन्ट को ध्यान में रखकर विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें अध्याय के लिये प्राथमिकता का क्रम तैयार किया गया है। जिसके अनुसार ही रेमेडियल टीचिंग का पठन पाठन कराया जाना अनिवार्य होगा।
  •  कक्षा संचालन हेतु शिक्षक विभागीय यू-ट्यूब चैनल (Vimarsh MP SED) पर उपलब्ध शैक्षणिक वीडियो का उपयोग कर सकते हैं। इन वीडियो की लिंक रेमेडियल मॉड्यूल में भी प्रदान की जायेगी। 

3. रेमेडियल कक्षाओं का संचालन Conducting remedial classes


  1. रेगेडियल कक्षाओं का संचालन 09 दिसम्बर से सतत् किया जाएगा।
  2. त्रैमासिक परीक्षाओं का विश्लेषण विमर्श पोर्टल पर उपलब्ध हैं जो प्राचार्यों द्वारा परीक्षा परिणाम के आधार पर भरा गया है। प्रत्येक शाला के पास डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों की सूची उपलब्ध है। ई ग्रेड में भी दो श्रेणियों बनाई गई है, E, ग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने 20 से 33 प्रतिशत के मध्य अंक प्राप्त किये है. तथा Eग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होने 0 से 20 प्रतिशत तक अंक प्राप्त किये है। E, श्रेणी के विद्यार्थियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जावे ताकि ये विद्यार्थी न्यूनतम दक्षता प्राप्त कर सके ।
  3.  रेमेडियल कक्षाएँ उन्हीं शिक्षकों के द्वारा ली जाए जिन शिक्षकों द्वारा कक्षा में संबंधित विषय का अध्यापन कराया जाता है क्योंकि उन्हें यह पता होगा कि किस विद्यार्थी का स्तर क्या है तथा किन टॉपिक्स में उन्हें समस्या है। 
  4. ऐसी शालाएं जहाँ डी एवं ई ग्रेड के अलग-अलग सेक्शन निर्मित है वहाँ सभी कालखण्ड में रेमेडियल टीचिंग के मॉडयूल से ही पढ़ाया जायेगा। अर्थात विषयमान से लगाए जा रहे कालखण्ड में भी तथा रेमेडियल टीचिंग के 2 कालखण्ड में भी। ऐसे सेक्शन के लिए प्रत्येक दिवस किन्ही 2 विषयों के लिए 80-80 मिनट के कालखण्ड एवं शेष 4 विषयों के 40-40 मिनट के कालखण्ड होंगें। 80 मिनट वाले कालखण्ड के विषय प्रतिदिन परिवर्तित रहेंगें। अर्थात यदि प्रथम दिवस हिन्दी एवं अंग्रेजी के 80 मिनट हैं तो अगले दिन विज्ञान एवं गणित के 80-80 मिनट के कालखण्ड होंगे। इस आधार पर समय-सारणी को तैयार करने का दायित्व प्राचार्य का होगा। 
  5.  यदि सी, डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों का पृथक सेक्शन न बना हो तो कक्षा 9वीं में तीसरा एवं चौथा कालखण्ड (80 मिनट) तथा कक्षा 10वीं में दूसरा एवं तीसरा कालखण्ड (80 मिनट) निदानात्मक रेमेडियल कक्षाओं के लिये होगा। कक्षा 11वीं एवं 12वीं के लिए शैक्षणिक कैलेण्डर अनुसार निदानात्मक रेमेडियल कक्षाओं का संचालन किया जायेगा।

 4. ऐसी शालाएं जहाँ विषयमान से शिक्षक नहीं है वहाँ Such schools where there is no subject teacher


  •  Ek Parisar Ek Shala  वाले स्कूलों में शिक्षकों का उपयोग उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर किया जाए। 
  •  ऐसे शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाये जहों स्कूलों की आपस में साझेदारी हो सकती है। उदाहरण के लिये यदि एक स्कूल में गणित के शिक्षक उपलब्ध है, किन्तु अंग्रेजी के नहीं है, जबकि निकटस्थ किसी स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक उपलब्ध है किन्तु गणित के नही, ऐसी स्थिति में दोनों स्कूलों के विषय शिक्षकों की सेवायें साझा कर ली जायें। विषय शिक्षण की इस साझेदारी व्यवस्था कराने को प्राथमिकता दी जाये। 
  •  जहाँ साझेदारी न हो सके वहां भी शिक्षक व्यवस्था अन्य विद्यालयों से विषयमान से पूर्ण की जाये। 
  •  उपरोक्त व्यवस्था में शिक्षकों को सप्ताह में 03 दिवस अपने विद्यालय में तथा 03 दिवस निकट के विषय शिक्षक विहीन विद्यालय में सेवायें देनी होगी। संबंधित दोनों विद्यालय (शिक्षक की मूल शाला तथा आवंटित शाला दोनों) के लिए इस व्यवस्था को ध्यान में रखकर उचित प्रकार से समय-सारणी निर्धारित करेंगे तथा संबंधित विषय के शिक्षक अपनी मूल शाला एवं आवंटित शाला दोनों स्थानों पर अपने विषय का पठन पाठन पूर्ण करायग। अर्थात मूल शाला में शैक्षणिक कार्य भी प्रभावित न हो यह भी सुनिश्चित किया जायेगा। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किये जाएंगे। इन शिक्षकों की उपस्थिति दोनों स्कूलों में ली जाये तथा निर्देश का पालन न करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाये।
  •  इस प्रकार की गई व्यवस्था में प्रयुक्त शिक्षक को नियमानुसार माह में न्यूनतम 10 दिवसकी अन्य शाला में उपस्थिति के लिए आवागमन व्यय रेमेडियल टीचिंग मद से रू. 1500 प्रतिमाह दिया जायेगा। 
  •  यदि निकटस्थ स्कूल से व्यवस्था न हो सके, तो, प्राचार्य निदानात्मक शिक्षण कालखड के दौरान कक्षाओं में विद्यार्थियों को लैपटॉप, फोन या स्मार्ट टीवी के माध्यम से डिजिटल सामग्री द्वारा अध्ययन करने की व्यवस्था कर सकते हैं। अध्ययन संबंधी डिजिटल सामन्त्री बुकलेट में उपलब्ध करवाई गयी है।
  •  कक्षा 11 एवं 12 के लिए प्रश्न बैंक प्रदान किए जाएंगे। 

5-अभ्यास - What are the steps in remedial teaching  planand  important in hindi




  •  प्रत्येक विषय हेतु रेमेडियल कक्षाओं की प्रत्येक विद्यार्थी की एक अलग कॉपी बनवाई जायेगी। जो शिक्षक अध्यापन करायेंगे ये प्रतिदिन की दिनांक एवं टॉपिक कॉपी पर लिखवायेंगें। 
  •  विद्यार्थियों से बार बार अभ्यास कराकर उन्हें उस दक्षता में दक्ष बनाया जायेगा। निदानात्मक कक्षाओं का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों से सतत अभ्यास करवाकर उन्हे दक्षा बनाना है। अतः सिर्फ मॉड्यूल के पढ़ाने से समस्या का हल नहीं होगा अपितु पढ़ाई के साथ अभ्यास कराने से विद्यार्थियों के स्तर का उन्नयन होगा। 
  •  शिक्षक सुनिश्चित करेंगे कि विद्यार्थियों को विद्यालय एवं धर पर अभ्यास हेतु पर्याप्त समय मिले। 
  •  ग्राफ/चित्र/मॉडल, प्रयोग करके दिखाना/करवाना, वर्कशीट से अभ्यास कराया जायेगा।
  •  प्रतिदिन निदानात्मक शिक्षण से सम्बंधित विषय पर अलग से कक्षा कार्य एवं गृह कार्य येना और जांच कर त्रुटियों को सुधरवाया जायेगा। 

6. मूल्यांकन - What are the steps in remedial teaching  planand  important in hindi

  •  विद्यार्थियों का प्रति सप्ताह टेस्ट लिया जायेगा तथा उसका रिकार्ड रखा जायेगा। 
  •  टेस्ट के आधार पर विद्यार्थी क्या सीख नहीं पाया इसका आकलन कर उन विद्यार्थियों को पुनः उसी टॉपिक को पढ़ाया जायेगा। 
  •  निरीक्षणकर्ता विद्यार्थियों की कॉपी देखकर रेमेडियल टीचिंग का अवलोकन करेंगे।
  •  अर्द्धवार्षिक एवं प्री-बोर्ड परीक्षा का पाठ्यक्रम शैक्षणिक केलेण्डर के अनुसार ही होगा। 

7. निरीक्षण मॉनिटरिंग - What are the steps in remedial teaching plan and important in Hindi


  •  समस्त विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जायेगी। प्राचार्य प्रत्येक सप्ताहिक बैठक में शिक्षकवार, विषयवार, विद्यार्थीवार समीक्षा करेंगे। जिसमें विद्यार्थियों को आने वाली कठिनाईयों पर विशेष चर्चा करेंगे। इस पूर्ण कार्यवाही के अभिलेखों का संधारण करेंगे। 
  •  रेमेडियल टीचिंग के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि शाला के प्राचार्य नियमित कक्षाओं की तरह रेमेडियल कक्षाओं के संचालन की जवाबदेही तय करें एवं इस ओर ध्यान दें तथा समुचित रूप से उद्देश्य के अनुरूप कार्यवाही करें एवं सभी विद्यार्थियों को न्यूनतम दक्षता हासिल करवाना सुनिश्चित करेंगे। 
  •  जिला स्तरीय टीम द्वारा आकस्मिक मॉनिटरिंग - जिला स्तर से अकादमिक दल के अतिरिक्त नियमित रेमेडियल कक्षाओं के संचालन की व्यवस्था की मॉनिटरिंग हेतु टीम गठित की जाएगी जो आकस्मिक रूप से शालाओं का निरीक्षण कर यह सत्यापित करेगी कि प्रत्येक शाला में रेमेडियल कक्षा चल रही है या नहीं। 
  •  इस सम्पूर्ण कार्य की मॉनिटरिंग का दायित्व जिला शिक्षा अधिकारी, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक एवं विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी का होगा।


1-What is an example of remedial teaching? उपचारात्मक शिक्षण का एक उदाहरण क्या है?


ANS- उपचारात्मक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले छात्रों के उदाहरणों में शामिल हो सकते हैं: ... गरीब देशों के छात्र और शरणार्थी जहां बुनियादी शिक्षा की गारंटी नहीं थी; वयस्क शिक्षा जो बचपन में अपने बुनियादी प्रशिक्षण से चूक गए; तथा। छात्रों को उनके कक्षा शिक्षक द्वारा उपचारात्मक कार्यक्रमों के लिए संदर्भित किया जाता है।

2-What are the steps in remedial teaching? उपचारात्मक शिक्षण के चरण क्या हैं?


ANS- उपचारात्मक शिक्षण
  1. उपचारात्मक शिक्षण के सिद्धांत:शिक्षण तैयारी।
  2. विभिन्न शिक्षण गतिविधियाँ करें।
  3. सार्थक सीखने की स्थितियों को डिजाइन करें।
  4. शिक्षण दृष्टिकोण।
  5. स्पष्ट निर्देश दें।
  6. मुख्य बिंदुओं को सारांशित करें।
  7. सीखने की रुचि और प्रेरणा बढ़ाएं।
  8. व्यक्तिगत विद्यार्थियों के प्रदर्शन के लिए चिंता दिखाएं।

3-What is remedial education? उपचारात्मक शिक्षा क्या है?


ANS- What are the steps in remedial teaching  planand  important in hindi जब आप किसी विषय में खराब प्रदर्शन करते हैं और ऐसी कक्षा में भेजे जाते हैं जो बुनियादी अवधारणाओं और बेहतर अध्ययन आदतों पर ध्यान केंद्रित करती है, तो आप एक उपचारात्मक कक्षा ले रहे हैं। ... एक उपाय की तरह, उपचारात्मक कक्षाओं से आपको सुधार करना चाहिए, विशेष रूप से उन स्कूली विषयों में जिनमें आपने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।

 4-What are remedial methods? उपचारात्मक तरीके क्या हैं?


ANS- कुछ उपचारात्मक दृष्टिकोणों में कार्यों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना, कौशल को फिर से पढ़ाना और एक अलग शिक्षण दृष्टिकोण का उपयोग करना शामिल है जो आपके बच्चे के सीखने के तरीके के लिए बेहतर हो सकता है। उपचारात्मक दृष्टिकोण विशिष्ट कौशल विकसित करने में मदद करने के लिए दोहराव पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

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