src='https://www.googletagmanager.com/gtag/js?id=G-892JG4KGS4'/> सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 08/09/2021 दिन Wednesday

सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 08/09/2021 दिन Wednesday


सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 08/09/2021 दिन Wednesday


सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 08/09/2021 दिन Wednesday



1-वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं के लिए मशहूर "कान्हा नेशनल पार्क"


2-बाँस आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए 30 सितंबर तक आवेदन आमंत्रित


3-जो अकादमी रिजल्ट नहीं देगी उसे बंद किया जायेगा : मंत्री श्रीमती Yashodhara Raje Scindia


4-नई शिक्षा नीति लागू करने से State के जी.इ.आर. में वृद्धि निश्चित है : उच्च शिक्षा मंत्री Dr Mohan Yadav


5-State में 88 ऑक्सीजन प्लांटस शुरू : मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chouhan


6-सबको राशन, सम्मान के साथ यही अन्न उत्सव का लक्ष्य


7-मछुआरों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता, छात्रवृत्ति की राशि में हुई वृद्धि




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1-वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं के लिए मशहूर "कान्हा नेशनल पार्क"




State में स्थापित नेशनल पार्कों के प्रति देशी पर्यटकों के साथ विदेशी पर्यटक बहुत तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। इनमें से एक है कान्हा नेशनल पार्क। यह पार्क वन सम्पदा, वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं से लबरेज है।



Kanha Nation Park विलक्षण और अद्वितीय प्राकृतिक आवास के लिए जाना जाता है। कान्हा का संपूर्ण वन क्षेत्र वैभवशाली अतीत को आज भी संजोए हुए है, जिसकी वजह से यह पार्क देशी-विदेशी पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींचता है।



मण्डला और बालाघाट जिले की सीमा से लगा यह पार्क प्राकृतिक और पर्यावरणीय गौरव के लिए जाना जाता है। क्षेत्रफल के लिहाज से इसका देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय पार्कों में शुमार है। कोर वन मण्डल (राष्ट्रीय उद्यान) एवं बफर जोन वन मण्डल कान्हा टाईगर रिजर्व के अन्तर्गत आते हैं। इन दोनों वन मण्डल का क्षेत्रफल क्रमश: 940 और 1134 वर्ग कि.मी. है। राष्ट्रीय उद्यान में 91 हजार 743 वर्ग कि.मी. का क्षेत्रफल क्रिटिकल टाईगर हेबीटेट के रूप में अधिसूचित है। इसके अलावा टाइगर रिजर्व के अधीन एक वन्य-प्राणी अभयारण्य सेटेलाइट मिनी कोर-फेन अभयारण्य है, जो 110.74 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला है।



118 बाघ और 146 तेंदुए सहित अनेक वन्य-जीव है मौजूद




टाइगर रिजर्व में वन्य- प्राणी गणना आकलन 2020 के अनुसार 118 बाघ और 146 तेंदुए मौजूद हैं। बाघों में 83 वयस्क और 35 शावक बाघ हैं। इसके अलावा जंगली कुत्ता, लकड़ बग्घा, सियार,भेड़िया, भालू (रीछ), लोमड़ी, जंगली बिल्ली, जंगली सुअर, गौर, चीतल, बारासिंघा, सांभर, मेड़क-मेड़की, चौसिंघा, नीलगाय, नेवला, पानी कुत्ता (उद बिलाव), सेही, लंगूर, बंदर, मोर प्रजाति के वन्य-जीव उपलब्ध हैं। साथ ही स्तनधारियों की तकरीबन 43 प्रजाति, पक्षियों की 325, सरी सृप की 39, कीट की 500, मकड़ी की 114 और पतंगों और तितलियों की भी अनेक प्रजाति पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं।



पार्क के यह स्थल है वेहद खास




फेन अभयारण्य – टाइगर रिजर्व की विशेष इकाई फेन अभयारण्य है। वर्ष 1983 में 110 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र फेन अभयारण्य घोषित हुआ। यह क्षेत्र वन्य-जीव के आवासीय स्थल के रूप में पिछले वर्षों से, काफी विकसित हुआ हैं। इस क्षेत्र में पूर्व में 38 मवेशी गाय, भैंस रहकर वन क्षेत्र को नष्ट किया करती थी। वर्ष 1997-98 के मध्य यहाँ से सभी शिवरों को विशेष मुहिम से हटा दिया, तब से यहाँ के वन काफी अच्छे हो गए हैं जिससे अब यहाँ बाघ, तेंदुआ, बायसन, चीतल, सांभर, जंगली कुत्ता आदि विचरण करते दिखाई देते है।



श्रवणताल - कान्हा से 4 कि.मी. की दूरी पर श्रवणताल है। पौराणिक मान्यता अनुसार राजा दशरथ के तीर से मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार की मृत्यु इसी स्थान पर होना माना जाता है। यहाँ कई साल पहले तक मकर संक्राति का मेला लगता था। श्रवणताल में वर्ष भर पानी रहता है, जिसके कारण नीचे स्थित मेन्हरनाला और देशीनाला क्षेत्र में पानी रिसने से हमेशा नमी बनी रहती है, जो बाघ के लिए उपयुक्त आवास है। बारासिंघा पानी में घुसकर यहाँ जलीय पौधों को अपना भोजन बनाते हैं।



किसली मैदान (चुप्पे मैदान) - पार्क का यह मुख्य प्रवेश द्वार है। वर्ष 1986-87 में यहाँ बसे लोगों को पार्क के बाहर कपोट बहरा में विस्थापित किया गया था। ढ़ाई दशक पहले यहाँ आरा मिल का ऑफिस लगा करता था।



डिगडोला - किसली परिक्षेत्र के उत्तर पूर्व पहाड़ी में एक बैलेंसिंग रॉक संतुलित चट्टान पर अपना संतुलन बनाये रखी है। इस क्षेत्र को डिगडोला कहते हैं। आदिवासियों के लिए यह पूजा स्थल के रूप में विख्यात है।



कान्हा मैदान - कान्हा के चारों ओर घास के मैदान स्थित हैं। यहाँ पहले खेती हुआ करती थी। विस्थापन में 26 परिवारों को वर्ष 1998-99 में मानेगाँव में बसाया गया। इसके बाद खेत घास के मैदान में परिवर्तित हो गये, जिसके कारण शाकाहारी वन्य-प्राणियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई।



कान्हा एनीकट - देशीनाला में बना एनीकट जल संवर्धन के साथ वन्य जीवों के लिये बहु-उपयोगी माना जाता है। इस एनीकट का निर्माण 72 साल पहले हुआ था।



चुहरी - कान्हा से 3 कि.मी. की दूरी पर चुहरी क्षेत्र है। पानी वाली जगह का चुहरी कहा जाता है। यह क्षेत्र बाघों के आवास के लिए उपयुक्त माना जाता है।



बारासिंघा फेंसिंग - इसका निर्माण पचास साल पहले हुआ था। बारासिंघा का संवर्धन इसी क्षेत्र में ही किया जाता है। इनके संबंध में अनुसंधान/अनुश्रवण आदि के कार्नीवोरस प्रूफ फेंसिंग के अंदर कुछ बारासिंघा को आवश्यकतानुसार यहाँ पर रखा जाता है। बारासिंघा की संख्या में वृद्धि होने पर उन्हें बाद में मुक्त कर दिया जाता है।



बिसनपुरा - कान्हा-मुक्की मार्ग में बिसनपुरा मैदान स्थित है। पहले इस स्थान में छोटा गाँव हुआ करता था। वर्ष 1974-76 के मध्य यहाँ से 13 परिवारों को विस्थापित करके भिलवानी वनग्राम समूह में बसाया गया। वर्तमान में इस स्थान में काफी अच्छे चारागाह विकसित हो जाने से, काफी संख्या में पर्णभक्षी आते हैं। पानी की प्रचुर मात्रा रहने से कान्हा की तरफ से पहाड़ पार से वन्य-जीव का इधर आवागमन काफी अच्छा रहता है। इस इलाके में बारहसिंगा, चीतल, बायसन, जंगली सुअर, भालू और गिद्ध दिखाई देते हैं।



सोंढर एवं सोंढर तालाब - कान्हा-मुक्की मार्ग पर सोढर मैदान स्थित है। पहले इस जगह गाँव हुआ करता था। वर्ष 1974-76 के बीच यहाँ 11 परिवारों को विस्थापित कर अन्यत्र बसाया गया। सोंढर तालाब काफी पुराना है। खेतों की जगह चारागाह विकसित हुए जो बारासिंघा के लिये उपयुक्त है। इस क्षेत्र में एक ही क्रम में पाँच तालाब है, जो ऊपर से नीचे घटते क्रम में है। इसके कारण जल संवर्धन का उचित उपयोग होने से क्षेत्र बारहसिंगा, वाइल्ड बोर, चीतल और वायसन के लिये यह उपयुक्त है।



घोरेला - सोंढर से कुछ दूरी पर घोरेला मैदान है। वर्ष 1974-76 के पहले यहाँ गाँव था जिसमें से 22 परिवारों को विस्थापित करके मुक्की एवं धनियाझोर में बसाया गया। यहाँ बारासिंघा काफी दिखाई देते हैं।



लपसी कबर - बिसनपुरा से कुछ दूरी पर मुक्की की तरफ खापा तिराहे पर, मार्ग के किनारे लपसी कबर है। लपसी वन्य-जीवों का ज्ञाता था। पूर्व में जब शिकार की अनुमति थी तब वह शिकारियों का सहयोगी था। ऐसी किवदंती है, कि लपसी, बाघ के शिकार के समय अपनी पत्नी को गारे के रूप में प्रयोग किया करता था। एक दिन शिकार के समय बाघ द्वारा उसकी पत्नी पर हमला बोलने पर वह स्वयं बाघ से भिड़ गया जिससे दोनों की मृत्यु हो गई। मान्यता यह भी है कि लपसी की कब्र में पत्थर चढ़ाने पर बाघ दिखाई देता है।



सौंफ - औरई मार्ग पर स्थित सौंफ क्षेत्र पहले गाँव था। आज से 52 साल पहले इस गाँव के 29 परिवारों को भानपुर खेड़ा ग्राम में विस्थापित किया गया था। वर्तमान में अच्छे खासे-घास के मैदान हैं। यह क्षेत्र बारासिंघा के लिये मुरीद माना जाता है। जल संवर्धन के लिए कई तालाब तथा डेम हैं। क्षेत्र में बारासिंघा और चीतल मुख्य रूप से है। वर्ष 1993 के जुलाई माह में वनरक्षक स्व. श्री चंदन लाल वाकट शिकारियों के साथ लड़ते हुए, यहीं पर शहीद हुए थे। तब से इस सर्किल का नाम “चंदन सर्किल” है। सौंफ क्षेत्र बारासिंघा के लिए सर्वश्रेष्ठ आवास स्थल है।



रौंदा - सौंफ से 4 कि.मी. दूरी पर “रौंदा” क्षेत्र स्थित है। यह क्षेत्र भी पहले गाँव था। वर्ष 1974-76 के मध्य यहाँ से 53 परिवारों को प्रेमनगर, विजयनगर और कारीवाह में बसाया गया। इस क्षेत्र में स्थानों पर चारागाह ही है। यह बारहसिंघा का आवास है।



दरबारी पत्थर-नसेनी पत्थर - चिमटा कैम्प के पीछे एक बड़े आकार का पत्थर है, जो लगभग 20 मीटर चौड़ा और 35 फीट ऊँचा है। इस पत्थर को “नसेनी पत्थर” भी बोला जाता है। इसके ऊपर छोटे-छोटे पत्थर कुर्सीनुमा रखे हैं। किवदंती है, कि दानव लोग यहाँ बैठकर दरबार करते थे।



ऐसे पहुँचे नेशनल पार्क




Kanha Nation Parkपहुँचने के लिए पर्यटक वायु मार्ग से निकटतम जबलपुर 100 कि.मी., रायपुर 250 कि.मी. और नागपुर 300 कि.मी. है। इसी तरह निकटतम रेलवे स्टेशन नैनपुर, गोंदिया एवं जबलपुर है। नैनपुर से मंडला जिले के खटिया एवं सरही गेट पहुँचा जा सकता है।



वन्य-प्राणियों की सुरक्षा में 962 अमला है तैनात




केटीआर में वन्य-प्राणियों के सुरक्षा के लिए सहायक वन संरक्षक, वन क्षेत्रपाल, उपवन क्षेत्रपाल, वनपाल, वनरक्षक, स्थायीकर्मी, सुरक्षा या समिति श्रमिक और भूतपूर्व सैनिक सहित 962 व्यक्ति तैनात हैं। इसके अलावा रिजर्व क्षेत्र के लिए 162 पुरूष और 13 महिलाएँ गाईड का दायित्व निभाती हैं।



हर साल बढ़ती है पर्यटक संख्या




राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक नियमित रूप से "कान्हा टाइगर रिजर्व" पहुँचते हैं। यह सामान्यतः अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहा करता है। National Parkमें प्रवेश के लिए खटिया, किसली, सरही एवं मुक्की 4 गेट हैं। इसी प्रकार मध्यState टूरिज्म सहित अन्य बड़े घरानों के होटल भी हैं। वर्ष 2019-2020 में कोर जोन में 90 हजार 135 देशी, 13 हजार 875 विदेशी और बफर जोन में 13 हजार 928 देशी तथा 305 विदेशी पर्यटकों ने पर्यटन किया। वर्ष 2020-2021 में कोर जोन में डेढ़ लाख से ज्यादा देशी और 109 विदेशी पर्यटक आए। बफर जोन में 19 हजार 395 देशी तथा 6 विदेशी पर्यटकों ने पर्यटन किया। वर्ष 2020-21 में कोर जोन में कुल डेढ़ लाख से ज्यादा तथा बफर जोन में 19 हजार 401 पर्यटक आए।



पार्क प्रबंधन को मिला सम्मान




वर्ष 2019 में ’अंग्रेजी भाषा में सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन’ श्रेणी के तहत कान्हा कॉफी टेबल बुक को भारत सरकार की ओर से पार्क प्रबंधन के लिए "भारत पर्यटन पुरस्कार" से सम्मानित किया गया। वर्ष 2020 में ’पार्क को अनुभूति कार्यक्रम’ के उत्कृष्ट संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।




2-बाँस आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए 30 सितंबर तक आवेदन आमंत्रित






State के विभिन्न क्षेत्रों में बाँस उद्योग स्थापित करने के लिए इस वर्ष 2 करोड़ 77 लाख 50 हजार रूपए का अनुदान प्रावधानित किया गया है। राज्य बाँस मिशन द्वारा निजी क्षेत्रों में इच्छुक हितग्राहियों से 30 सितंबर 2021 तक प्रस्ताव बुलाए गए हैं। बाँस उद्योग लगाने के लिए 10 कार्य क्षेत्र चिन्हित किये गये हैं। गत वित्तीय वर्ष में निजी क्षेत्रों के हितग्राहियों को 16 इकाईयों की मंजूरी दी जाकर 2 करोड़ 3 लाख रूपए का अनुदान उपलब्ध कराया गया।



प्रमुख रूप से बाँस के ट्रीटमेंट तथा सीजनिंग प्लांट, बाँस प्र-संस्करण केन्द्र एवं मूल्य संवर्धन इकाई, बाँस कचरा प्रबंधन, अगरबत्ती इकाई, एक्टिवेटेड़ कार्बन प्रोडक्ट, बेम्बो बोर्ड/फ्लोर टाइल्स यूनिट और हाईटेक और बिग नर्सरी के प्रोजेक्ट पर अनुदान दिया जा सकेगा।



उल्लेखनीय है कि इन उद्योगों के मामलों में राज्य बाँस मिशन द्वारा प्रोजेक्ट तैयार करने के लिये मार्गदर्शन दिया जा सकेगा। राज्य बाँस मिशन, संबंधित बैंक की सहमति के बाद उपलब्ध बजट सीमा में प्रोजेक्ट स्वीकृत करेगा और बैंक के माध्यम से हितग्राही को अनुदान राशि का भुगतान कराया जाएगा।




3-जो अकादमी रिजल्ट नहीं देगी उसे बंद किया जायेगा : मंत्री श्रीमती Yashodhara Raje Scindia




खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा है कि State में विभिन्न अकादमी ऑफ एक्सीलेंस संचालित हैं। वर्तमान में State के खिलाड़ी न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल हुए हैं। अगर किसी भी खेल अकादमी से हमें राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी नहीं मिल रहे हैं तो ऐसी अकादमी का औचित्य नहीं है। ऐसी अकादमी को बंद किया जायेगा। खेल मंत्री श्रीमती सिंधिया मंगलवार को टीटी नगर स्टेडियम में हॉकी अकादमी की समीक्षा कर रही थीं।



खेल मंत्री श्रीमती सिंधिया ने ग्वालियर स्थित हॉकी अकादमी की समीक्षा में कहा कि State के सभी अकादमी में रहने वाले खिलाड़ियों की डिजिटलाइज्ड मेडिकल फाइल बनाई जाएगी। हर अकादमी के प्रत्येक खिलाड़ी का ब्लड टेस्ट किया जायेगा। उनकी फाइल बनाई जायेगी जिसमें प्रत्येक खिलाड़ी की पर्सनल प्रोफाइल जैसे ब्लड ग्रुप, ब्लड टेस्ट की रिपोर्टस, कितने बच्चें कोरोना पॉजिटिव हुए हैं उनकी इन्ज्योरी आदि मेनटेन किया जायेगा।



मंत्री श्रीमती सिंधिया ने ग्वालियर महिला हॉकी अकादमी के निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की। उन्होंने पॉवर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से अकादमी में चल रहे निर्माण कार्यों पर विस्तृत चर्चा की। प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण श्री गुलशन बामरा, नवागत खेल संचालक श्री रवि कुमार गुप्ता और हॉकी प्रशिक्षक श्री परमिंदर सिंह उपस्थित थे।











4-नई शिक्षा नीति लागू करने से State के जी.इ.आर. में वृद्धि निश्चित है : उच्च शिक्षा मंत्री Dr Mohan Yadav




उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति के लागू होने से State के सकल नामांकन अनुपात (GER) में वृद्धि निश्चित है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में म.प्र. का सफल नामांकन अनुपात 24.2 प्रतिशत था जो राष्ट्रीय 27.1 प्रतिशत के आसपास है। डॉ. यादव मंगलवार को State के 39 निजी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर म.प्र. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग में कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।



मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि State में निजी विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे परिकल्पना है कि वे अपने संसाधनों की श्रेष्ठता सिद्ध करें अन्य संस्थान उनका अनुसरण करें। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की नई उम्मीदों तथा नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात रही है कि कोरोना काल में जहाँ विश्व में शैक्षणिक गतिविधियाँ भी रूक गई थी, वहीं मध्यState द्वारा ऑनलाईन कक्षाओं का संचालन, ओपन बुक परीक्षा से समय पर परिणाम घोषित कर अनूठा कार्य किया गया है, जो देश में एक मॉडल रहा है, जिसकी अन्य प्रदेशों द्वारा प्रशंसा की गई। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति शासकीय विश्वविद्यालयों में क्रियान्वित हो गई है। इस नीति की सफलता में निजी विश्वविद्यालयों का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला जिलों एवं संभाग स्तर पर भी आयोजित करें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रचार अधिक से अधिक करें।



मध्यState निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयेाग के अध्यक्ष प्रो. भरत शरण सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर हमें ध्यान देना है। श्री सिंह ने नीति का क्रियान्वयन कैसे हो, कौन से क्षेत्र को ज्यादा केन्द्रित करना है, कैसे शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाना है, मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग आदि को गति देने पर जोर देने की बात कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने और वर्ष 2030 तक शत-प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात को हासिल करने के लिए हर स्तर पर अप्रोच करना होगा।



उल्लेखनीय है कि State के 39 निजी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव सदस्य (अकादमिक) डॉ. विश्वास चौहान सदस्य (प्रशासकीय), म.प्र. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयेाग डॉ. ए.एस. यादव तथा विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।







5-State में 88 ऑक्सीजन प्लांटस शुरू : मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chouhan




44 हजार 590 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ शुरू




सितम्बर माह तक सभी 190 प्लांटस हो जाएंगे शुरू




मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य अधोसंरचना में दिखी कमियों को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जा रहा है। इन कमियों में सबसे महत्वपूर्ण थी मेडिकल ऑक्सीजन। हमने यह तय कर लिया था कि जो भी हो अब भविष्य में Stateवासियों को उपचार में ऑक्सीजन की कमी नहीं आने देंगे। इसी उद्देश्य से अभियान चलाकर State में ऑक्सीजन प्लांटस लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया गया। आज मध्यState में स्थापित किये जा रहे 190 ऑक्सीजन प्लांट में से 88 प्लांट कार्यशील हो गये हैं। इन 88 प्लांटस की ऑक्सीजन क्षमता 45 हजार 890 लीटर प्रति मिनट है।



ऑक्सीजन प्लांटस



37 इन प्रोग्रेस



88 फंक्शनल



18 इंस्टाल्ड



41 डिलेवर्ड



06 डिस्पेज्ड



मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के समय मध्यState में अन्य प्रांतों से ऑक्सीजन लाकर कमी को दूर किया गया था। इसमें भारतीय सेना के वायुयान, हैलीकाप्टर, रेल के साथ सड़क मार्ग से टैंकरों द्वारा ऑक्सीजन State में लाई गई। यह बहुत मुश्किल परिस्थितियाँ थी। इन परिस्थितियों का दोबारा सामना न करना पड़े, इसके लिए State सरकार ने क्रियेटिव सोच और बेहतर प्लानिंग के साथ मेडिकल ऑक्सीजन के मामले में आत्म-निर्भर बनने का जो सपना संजोया, आज वह मूर्त रूप ले रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि State की स्वास्थ्य संस्थाओं में ऑक्सीजन प्लांट लग जाने से रोगियों को अब बिना विलंब ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकेगी।



अब ऑक्सीजन आयात की नहीं पड़ेगी जरूरत




मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि State में ही ऑक्सीजन उत्पादन शुरू हो जाने से अब ऑक्सीजन आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारा प्रयास है कि सभी जिला मुख्यालयों सहित तहसील स्तर पर भी ऑक्सीजन प्लांटस लग जाए। जहाँ ऑक्सीजन प्लांटस नहीं लगे हैं वहाँ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध करवाये गये हैं।



केन्द्र सरकार का मिला सहयोग




मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सहित केन्द्रीय मंत्रियों के सहयोग से मध्यState को समय पर ऑक्सीजन की उपलब्धता होती रही। इससे हम State में कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाने में सफल रहे। प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यState में स्थापित हो रहे 190 ऑक्सीजन प्लांट में से 102 प्लांट केन्द्र सरकार के सहयोग से लग रहे हैं। सितम्बर माह के अंत तक सभी 190 प्लांटस काम करना शुरू कर देंगे।



ऑक्सीजन उत्पादन वर्ष के रूप में भी याद किया जाएगा यह साल




मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि सभी के मिले-जुले प्रयासों से वर्ष 2021 मध्यState के ऑक्सीजन उत्पादन में आत्म-निर्भर के लिए भी याद किया जाएगा। State में आज की स्थिति में 190 ऑक्सीजन प्लांटस स्थापित होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।



जन-सहयोग भी मिला




मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि State में ऑक्सीजन प्लांटस लगाने के अभियान में बड़े पैमाने पर जन-सहयोग भी मिला है। अनेक कम्पनियों, संस्थाओं के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं और जन-प्रतिनिधियों ने अपनी स्वैच्छा निधि से इस काम में आगे आकर सहयोगी की भूमिका निभाई है। अनेक संस्थाओं ने स्वास्थ्य केन्द्रों पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स भी दान किये हैं।






6-सबको राशन, सम्मान के साथ यही अन्न उत्सव का लक्ष्य




अन्न महोत्सव में प्रभारी मंत्री श्री Bhuppendra Siingh ने हितग्राहियों को सम्मान के साथ सौंपा राशन




नगरीय विकास एवं आवास मंत्री और भोपाल जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह की अध्यक्षता में भोपाल के शिवाजी नगर स्थित उचित मूल्य की दुकान पर आयोजित अन्न महोत्सव में हितग्राहियों को राशन वितरित किया गया। कार्यक्रम में कलेक्टर श्री अविनाश लवानिया, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी श्रीमति ज्योति शाह नरवरिया, अन्य विभागों के अधिकारी और बड़ी संख्या में हितग्राही उपस्थित थे ।



प्रभारी मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि गरीबों को राशन के साथ सम्मान भी मिले यही प्रधानमंत्री की परिकल्पना है। इस अवधारणा के अनुसार State में अन्न महोत्सव का कार्यक्रम किया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर State में प्रत्येक माह की 7 तारीख को अन्न उत्सव कार्यक्रम उचित मूल्य की दुकानों पर आयोजित किया जा रहा है। भोपाल जिले में 447 दुकानों पर आज यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिले में 28 श्रेणी के लोगों को राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। सितम्बर माह में भोपाल जिले के 3 लाख 6 हजार परिवारों की पात्रता पर्ची बनी है। अन्न महोत्सव में जन प्रतिनिधियों के साथ कलेक्टर सहित सभी अधिकारी सम्मिलित हो रहे हैं और आम जनता की राशन की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।



प्रभारी मंत्री श्री सिंह ने कहा कि गरीबों को थैले में मुफ्त राशन सम्मान के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है। किसी भी गरीब और जरूरतमंद को भूखा नहीं रहने दिया जाएगा। इसके लिए अन्न महोत्सव में सभी जरूरतमंद को मुफ्त राशन उपलब्ध कराए जाने के निर्देश राज्य सरकार ने दिए हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी जी भी 7 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे और हितग्राहियों से बात भी की थी। जिसमें भोपाल के 01 लाख 60 हजार परिवारों को थैले में राशन दिया गया था। मंगलवार को संपन्न अन्न महोत्सव में 1 लाख 50 हजार थैले परिवारों को वितरित किए गए।



कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने श्रीमती अनुराधा, श्री रामचरण विश्वकर्मा, श्री विनोद सेन, श्रीमति गीता त्रिपाठी और श्रीमती माधुरी मिश्रा आदि के साथ 100 लोगों को थैले में राशन वितरित किया।




7-मछुआरों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता, छात्रवृत्ति की राशि में हुई वृद्धि




मत्स्य महासंघ की 25 वीं वार्षिक साधारण सभा की बैठक में :- मंत्री श्री Tulsi Silawat




मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने महासंघ की 25वीं वार्षिक साधारण सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यState सरकार का मुख्य उद्देश्य अंतिम छोर तक के व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है। इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। मछुआ समाज मुख्य रूप से मत्स्य पालन और आखेट का कार्य करते हुए जीवन-यापन कर रहा है इनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए ही मत्स्य महासंघ का स्थापना की गई थी। लड़कियों के विवाह के लिए "मीनाक्षी कन्या विवाह" जाल-नाव सहित अन्य आर्थिक संबल प्रदान करने वाली योजनायें मत्स्य महासंघ संचालित कर रहा है।



मंत्री श्रीं सिलावट ने कहा कि सहकारिता के उद्देश्य पर आधारित यह मत्स्य महासंघ सबका विकास, सबका साथ, और सबके विश्वास की अवधारणा पर काम कर रहा है। मंत्री श्री सिलावट ने मछुआ महासंघ की महासभा में गंभीर बीमारी के लिए आर्थिक सहायता राशि को बढ़ाकर 40 हजार से 50 हजार, तकनीकी शिक्षा छात्रवृत्ति योजना में 20 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रुपए और मछुआ सोसाइटी के सदस्यों में किसी की मृत्यु होने पर आर्थिक सहायता राशि 7500 से बढ़ाकर 10 हजार रूपये कर दी है।



साधारण सभा में निर्णय लिया गया कि मेजर कॉर्प और अन्य प्रजाति की मछली पकड़ने पर 32 रूपए किलो के स्थान पर अब 34 रुपए किलो और अन्य छोटी मछलियों को पकड़ने पर 19 रूपए प्रति किलो के स्थान पर 20 रूपए प्रति किलो मत्स्याखेट की दर निर्धारित कर दी है। इसके साथ ही मछुआ समिति की मांग पर सभी मछुआरों को लाइफ जैकेट उपलब्ध कराने के संबंध में श्री सिलावट ने निर्देश दिए हैं।



मंत्री श्री सिलावट ने संचालक मत्स्य विकास और मत्स्य महासंघ के प्रबंध संचालक को निर्देश दिए कि सभी मछुआरों के क्रेडिट कार्ड दिसंबर तक बन जाने चाहिए, जिससे बैंको से जीरो ब्याज दर पर ऋण राशि उपलब्ध हो। महा सभा की बैठक में मंत्री ने सभी मछुआ सोसायटी के अध्यक्षों को माला पहनाकर और बुके देकर सम्मानित किया। उन्होंने संभाग स्तर पर भी क्षेत्रीय बैठकों का आयोजन करने तथा समिति में महिला सदस्यों की भागीदारी के निर्देश दिए हैं।



साधारण सभा में मत्स्य महासंघ द्वारा प्रस्तुत 56 करोड़ की आय और 36 करोड़ के व्यय का बजट सर्वसम्मति से पारित किया गया। State के 27 जिलों के जलाशय में मछुआ समिति क्रियाशील हैं। इस वर्ष 445 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 20 करोड़ की राशि मछुआरों को प्रदान की गई है। मत्स्य महासंघ में 216 और विभाग में 2 हजार मछुआ समिति कार्यरत हैं।




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