src='https://www.googletagmanager.com/gtag/js?id=G-892JG4KGS4'/> सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News)

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1-Covide महामारी से अनाथ हुए बच्चों के लिए केन्द्र की PM cairफॉर चिल्ड्रन Scheme


23 वर्ष की आयु पर मिलेंगे 10 लाख रुपये


Chief Minister Covide-19 बाल सेवा Scheme के हितग्राही भी होंगे पात्र



      केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के कारण जिन बच्चों के माता-पिता, कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता की मृत्यु हो गई है, उन्हें "PM cairफॉर चिल्ड्रन'' Scheme में सहारा दिया जायेगा। इस Scheme के लिये प्रदेश की Chief Minister Covide-19 बाल सेवा Scheme के बाल हितग्राही भी पात्र होंगे।



Scheme में बाल हितग्राही को सहायता




PM cair फॉर चिल्ड्रन Scheme में बाल हितग्राही के 18 वर्ष के होने पर बच्चे के नाम से 10 लाख रुपये के कार्पस का प्रावधान किया गया है। इसी कार्पस से बच्चे को मासिक आर्थिक सहायता दी जायेगी। बाल हितग्राही की आयु 23 वर्ष होने पर उन्हें 10 लाख रुपये दिये जायेंगे। आयुष्मान भारत Scheme के अंतर्गत बाल हितग्राही को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जायेगा।



Scheme में बाल हितग्राही को 10 वर्ष की आयु तक नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय अथवा निजी विद्यालय में गैर-आवासीय विद्यार्थी के रूप में प्रवेशित कर शिक्षा के अधिकार प्रावधानों के अनुरूप फीस केन्द्र सरकार द्वारा वहन की जायेगी। इसके अतिरिक्त उन्हें किताबों, नोट-बुक, यूनिफार्म पर व्यय राशि भी प्रदान की जायेगी।



PM cair फॉर चिल्ड्रन Scheme के तहत बाल हितग्राही के 11 से 18 वर्ष आयु समूह में होने पर केन्द्रीय आवासीय विद्यालय जैसे नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल आदि में प्रवेशित किया जायेगा। यदि हितग्राही संयुक्त परिवार में निवासरत है, तो नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय या निजी विद्यालय में गैर-आवासीय विद्यार्थी के रूप में प्रवेशित किया जायेगा।



आवेदन की प्रक्रिया




Scheme के अंतर्गत पात्र बच्चों के चिन्हांकन की कार्यवाही जिला कलेक्टर द्वारा की जायेगी। पात्र सभी बच्चों की प्रविष्टि pmcaresforchildren.in पोर्टल पर अपलोड की जायेगी। इसके अतिरिक्त "सिटीजन लॉग इन'' से सीधे आवेदन को भरा जा सकता है अथवा बाल कल्याण समिति के लॉग इन से भी आवेदन किया जा सकता है। 
     
       Scheme में माता-पिता की Covide से मृत्यु संबंधी प्रमाण-पत्र का होना अनिवार्य नहीं है। किन्तु कलेक्टर द्वारा बच्चे के माता-पिता की मृत्यु Covide से होने के संबंध में संतुष्टि होने और सत्यापन किये जाने पर ही बच्चे को लाभान्वित किया जायेगा। सिटीजन लॉग इन अंतर्गत एक मोबाइल नम्बर से अधिकतम 10 आवेदन फीड किये जा सकते हैं।



Scheme के संबंध में विस्तृत जानकारी/सहायता भारत सरकार द्वारा जारी सम्पर्क नं. 011-23385289 अथवा ई-मेल cw2section-mwcd@gov.in पर सम्पर्क किया जा सकता है।


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2-शहरों के विकास के नये प्रोजेक्ट बनने के साथ ही क्रियान्वयन भी समय-सीमा में




नागरिकों को मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने, शहरों को स्वच्छ रखने, पर्यावरण संरक्षित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को गति देने के लिए नगरीय आवास एवं विकास विभाग पूरी शिद्दत के साथ कार्य कर रहा है। शहरों के विकास के लिए नये नियम और प्रोजेक्ट बनाने के साथ ही उनका क्रियान्वयन भी समय-सीमा में किया जा रहा है। Department of Urban Development & Housing MP मंत्री श्री Bhuppendra Siingh स्वयं प्रति सप्ताह Schemeओं की समीक्षा करते हैं।



परिणाम स्वरूप प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट "स्मार्ट सिटी" में मध्यप्रदेश ने उल्लेखनीय कार्य किया है। प्रोजेक्ट के 6 वर्ष पूरे हो चुके हैं। प्रदेश के भोपाल और इंदौर ही नहीं अन्य शहर जिनमें स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है, में भी लक्ष्य के अनुरूप कार्य चल रहा है। 

               इसी का परिणाम है कि भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा घोषित इंडिया स्मार्ट अवॉर्डस् कांटेस्ट-2020 में ओवरऑल इंदौर को प्रथम स्थान प्रदेश की 5 स्मार्ट सिटी को 11 अवॉर्ड और राज्यों की श्रेणी में मध्यप्रदेश को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है।



प्रोजेक्ट अवार्ड




             बिल्ट एनवायर्नमेंट थीम - इंदौर को 56 दुकान प्रोजेक्ट के लिए प्रथम स्थान मिला। सेनिटेशन थीम - इंदौर को तिरूपति शहर के साथ म्युनिसिपल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम थीम में प्रथम स्थान मिला। कल्चर थीम - इंदौर को कन्ज़रवेशन ऑफ बिल्ट हेरिटेज के लिए प्रथम स्थान एवं ग्वालियर को डिजिटल म्यूजियम के लिए तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इकॉनॉमी थीम - इंदौर को कार्बन क्रेडिट फाइनेंसिंग मेकेनिज्म के लिए प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। अर्बन एनवायर्नमेंट थीम - भोपाल को चेन्नई के साथ क्लीन एनर्जी के लिए प्रथम स्थान मिला।



इनोवेशन अवार्ड




इनोवेशन आइडिया अवार्ड थीम में इंदौर को कार्बन क्रेडिट फाइनेंसिंग मेकेनिज्म के लिए प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।



सिटी अवार्ड




राउंड वन सिटीज़ में इंदौर को प्रथम एवं जबलपुर को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। राउंड 3 सिटीज़ में सागर को द्वितीय स्थान मिला।



6566 करोड़ के 567 प्रोजेक्ट




स्मार्ट सिटी मिशन में 7 स्मार्ट सिटी में 6566 करोड़ 70 लाख के 567 प्रोजेक्ट बनाये गये हैं। इनमें से 1577 करोड़ के 273 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। शेष प्रोजेक्ट पूरा करने की समय-सीमा निर्धारित कर दी गयी है। भोपाल में 939 करोड़ के 75, इंदौर में 942 करोड़ के 161, जबलपुर में 940 करोड़ के 99, ग्वालियर में 926 करोड़ के 49, उज्जैन में 940 करोड़ 60, सागर में 964 करोड़ के 69 और सतना में 914 करोड़ रुपये के 54 प्रोजेक्ट बनाये गये हैं।



आवास कम्पाउंडिंग की सीमा 10 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत की गई है। इससे भवन स्वामियों की कठिनाई दूर होने के साथ ही निगम की आय बढ़ेगी।



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3-प्रधानमंत्री ने पथ-विक्रेता नाजमीन से किया संवाद




प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल इंडिया दिवस पर संपूर्ण देश में पीएम स्व-निधि Scheme के लाभान्वित पथ-विक्रेताओं में से मध्यप्रदेश के नगर पालिक निगम, उज्जैन की 41 वर्षीय श्रीमती नाजमीन शाह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पूछा- नाजमीन शाह जी आप डिजिटल पेमेंट लेती हैं या नगद। इस पर श्रीमती नाजमीन ने कहा- सर कैश और डिजिटल दोनों तरह से पेमेंट लेती हूँ। फल के ठेले पर क्यूआर कोड लगा रखा है। कस्टमर को डिजिटल पेमेंट करने के लिए कहती हूँ। प्रधानमंत्री ने श्रीमती नाजमीन से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के लिए कहा तो उसने फल व्यापारी शुभम को 1520 रुपए मोबाइल से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करके दिखाया।



पीएम स्व-निधि Scheme में 3 लाख से अधिक पथ-विक्रेताओं को ऋण वितरित




पीएम स्व-निधि योजनांतर्गत एक जुलाई तक मध्यप्रदेश में 6 लाख 12 हजार पथ विक्रेताओं को पंजीयन एवं सत्यापन उपरांत 5 लाख 78 हजार पथ-विक्रेताओं को पहचान-पत्र एवं विक्रय प्रमाण-पत्र प्रदान किये गये हैं। इसके आधार पर 4 लाख 83 हजार पथ-विक्रेताओं के द्वारा बैंको को ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत किए गए। विभिन्न बैंकों के माध्यम से 3 लाख 83 हजार पथ-विक्रेताओं को 10-10 हजार रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया। इनमें से 3 लाख 24 हजार को आजीविका पुनः प्रारम्भ करने के लिये ऋण दिया गया। मध्यप्रदेश इस Scheme के क्रियान्वयन में अग्रणी होकर देश में दूसरे स्थान पर है।



भवन अनुज्ञा में पेड़ लगाने का स्पष्ट प्रावधान




राज्य के हरित क्षेत्र में वृद्धि कर प्रदेश के पर्यावरण को स्वच्छ रखने और प्रकृति को प्राणवायु से समृद्ध करने के उद्देश्य से जन-सहभागिता के माध्यम से व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण के लिए अंकुर कार्यक्रम शुरू किया गया है। प्रत्येक भवन अनुज्ञा में मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम, 2012 के नियम-67 के अनुरूप वृक्षारोपण किया जाना आवश्यक होगा। जारी की जाने वाली भवन अनुज्ञा में स्पष्ट प्रावधान होगा कि भवन निर्माण के साथ कितने पेड़ लगाना होगा।



नये प्रावधान में 100 वर्ग मीटर से छोटा भू-खण्ड होने पर पार्क या सार्वजनिक स्थल पर पौधा लगाना और उसकी सुरक्षा करना आवश्यक होगा। भवन निर्माण पूर्ण होने पर निर्धारित संख्या में वृक्षारोपण किया गया है, यह सुनिश्चित करने के उपरांत ही आधिपत्य प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा। निर्देशों का पालन समस्त शासकीय परिSchemeओं, विभाग के अंतर्गत प्रस्तावित समस्त Schemeओं तथा प्रधानमंत्री आवास Scheme इत्यादि में सुनिश्चित किया जायेगा। किये गये वृक्षारोपण के लिए भू-खण्ड स्वामी अंकुर कार्यक्रम के तहत वायुदूत मोबाइल एप पर पंजीयन कर "प्राणवायु पुरस्कार" के लिए प्रतियोगी हो सकते हैं।



Covide-19 संक्रमण की रोकथाम के दृष्टिगत प्रदेश के अधिकांश जिलो में अप्रैल और मई, 2021 में कोरोना कर्फ्यू व विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगाए गए। इसके कारण प्रदेश के शहरों में निवासरत नागरिकों को नगरीय निकायों के विभिन्न करों एवं उपभोक्ता प्रभार आदि का भुगतान समय पर करने में कठिनाई हुई है और इसके परिणामस्वरूप उक्त करों एवं उपभोक्ता प्रभारों पर अधिभार (सरचार्ज) आदि देय हो गए हैं।



नागरिकों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया कि ऐसे नागरिक जो 31 जुलाई, 2021 तक नगरीय निकायों को कर एवं उपभोक्ता प्रभार आदि का भुगतान करेंगे, उन्हें 3 माह अप्रैल से जून, 2021 तक की अवधि के अधिभार (सरचार्ज) नहीं देने होंगे। नागरिकों ने इसका भरपूर लाभ उठाया।इस तरह से नगरीय विकास एवं आवास विभाग नागरिकों के हित में लगातार Schemeओं का क्रियान्वयन कर रहा है।



रीवा, सागर, भोपाल, होशंगाबाद संभागों सहित प्रदेश के 10 जिलों में गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने का पूर्वानुमान है।



पिछले 24 घंटों में प्रदेश के इंदौर, उज्जैन संभाग के जिलों में कहीं-कहीं वर्षा दर्ज गई, जबकि शेष संभागों के जिलों में मौसम मुख्यत: शुष्क रहा।



उज्जैन, सिवनी, विदिशा जिला चिकित्सालय को एनक्यूएएस नेशनल सर्टिफिकेट

प्रदेश के जिला चिकित्सालय उज्जैन, सिवनी और विदिशा को राष्ट्रीय गुणवत्ता मानक (एनक्यूएएस) सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है।



राष्ट्रीय मानक एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन भारत सरकार द्वारा ऐसी संस्थाओं को दिया जाता है, जहाँ पर उच्च स्तर की स्वास्थ्य सेवाएँ दिए जाने की व्यवस्था होती है। स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त संक्रमण नियंत्रण आदि आयामों में बेहतर कार्य करने वाली स्वास्थ्य संस्थाओं को यह सर्टिफिकेट दिया जाता है।



राष्ट्रीय मानक एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन प्राप्त होने से संस्था में आने वाले मरीजों को भी उच्च गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सेवाएँ एवं अन्य व्यवस्थाएँ प्राप्त होती हैं। संस्था में मातृ मृत्य दर, शिशु मृत्यु दर एवं मारबिर्डी कम होती है।


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4-कृषि क्षेत्र में अपरिमित संभावनाओं से भरपूर स्वर्णिम मध्यप्रदेश


कृषि क्षेत्र में अपरिमित संभावनाओं के द्वार खोलकर कैसे किसानों को अग्रणी और आत्म-निर्भर बनाया जा सकता है, इसका मध्यप्रदेश स्वर्णिम आदर्श प्रस्तुत कर रहा है। दरअसल कोरोना काल की अप्रत्याशित और अभूतपूर्व चुनौतियों के बीच मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने लोक-कल्याणकारी कार्यों से मिसाल कायम की है। इसका उदाहरण कृषि क्षेत्र में मिल रही ऐतिहासिक उपलब्धियाँ और सफलताएँ हैं, जिनकी सराहना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी की है।



मध्यप्रदेश के Chief Minister शिवराज सिंह चौहान स्वयं किसान हैं और वे किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्धता से कार्य करने के लिए जाने जाते है। उनके डेढ़ दशक से ज्यादा के कार्यकाल में कृषि के क्षेत्र में नवाचार और आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया गया है। इसके दीर्घकालीन प्रभाव ही है कि कृषि कर्मण अवार्ड को लगातार जीतकर प्रदेश ने इतिहास रचा है। 

        प्रदेश में अनाज, सब्जी और फलों की उत्पादन लागत में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन को भी लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य की विविधतापूर्ण जलवायु को दृष्टिगत रखते हुए सरकार बेहतर तालमेल स्थापित कर सभी क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को प्रशिक्षण के साथ समुचित सहायता भी देती रही है।



सोयाबीन और गेहूँ के उत्पादन में मध्यप्रदेश ने नित नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं। सोयाबीन खरीफ मौसम में प्रदेश में सर्वाधिक बोई जाने वाली फसल है। इसके साथ धान, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, तिल और कपास का भरपूर उत्पादन होने लगा है। रबी की फसलों में गेहूँ, चना, मटर, मसूर, सरसों, गन्ना, अलसी आदि प्रमुख हैं। 

      इनमें गेहूँ का रकबा सर्वाधिक है। गेहूँ की उत्पादकता के लिये किये गये प्रयासों के कारण इसका क्षेत्रफल, उत्पादन तथा उत्पादकता भी तेजी से बढ़ रही है और अब मध्यप्रदेश इसके उत्पादन में अग्रणी राज्य बन गया है। इस प्रकार प्रदेश में बोई जाने वाली लगभग सभी फसलों ने विगत डेढ़ दशक में उत्पादन तथा उत्पादकता के क्षेत्र में उच्च कीर्तिमान स्थापित किये हैं।



केंद्र सरकार की लोक-कल्याणकारी Schemeओं का फायदा मध्यप्रदेश को भली-भाँति मिल रहा है, जिससे प्रदेश का अन्नदाता प्रसन्न और खुशहाल है। प्रधानमंत्री फसल बीमा Scheme में पात्र किसानों को दावा राशि का भुगतान प्राथमिकता से कराया जाता है। Scheme का लाभ दूरस्थ और गरीब किसानों को भी मिले, इसे ध्यान में रखते हुए वनग्रामों को राजस्‍व ग्राम में अर्थात् पटवारी हल्‍के में शामिल किया गया है। 


      पहले वन ग्राम राजस्‍व ग्राम में नहीं होने से तथा पटवारी हल्‍के के अन्‍तर्गत शामिल न होने के कारण वन अधिकार पट्टों पर प्राप्‍त भूमि के पट्टेधारियों को फसल हानि के मामले में फसल बीमा Scheme का लाभ नहीं मिल पाता था। अब सभी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा Scheme का लाभ मिलने लगा है।



मध्‍यप्रदेश के किसानों को अपने कृषि उत्‍पाद निर्यात करने में सुविधा मिले तथा उन्हें अपनी उपज का अधिकतम लाभ हासिल हो सके, इसके लिए व्यवस्थागत कदमों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रमाणित एवं गुणवत्‍ता युक्‍त बीज के भण्‍डारण के लिए पंचायत स्‍तर पर प्र-संस्‍करण इकाइयाँ तेजी से स्थापित की जा रही हैं। कृषि अधोसंरचना निधि के अंतर्गत मध्यप्रदेश को साल 2020-21 में 7500 करोड़ रूपये का आवंटन प्राप्‍त हुआ है, जिसके उपयोग में प्रदेश का देश में प्रथम स्‍थान है।



किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आधुनिक मंडियों की स्‍थापना, फूड पार्क, शीत गृहों की श्रृंखला स्‍थापित करने के साथ-साथ साइलो एवं वेयर हाउस के निर्माण को मिशन मोड में प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। नए कृषि कानूनों के आने से किसान अपनी उपज को मंडी में या अन्यत्र देश में कहीं भी बेचने के लिये स्वतंत्र हो गया है। अब जहाँ किसान को लाभ मिलेगा वह बिना किसी अवरोध और रोक-टोक के वहाँ अपनी उपज बेच सकेगा।



किसान अन्‍नदाता एवं जीवनदाता है। Covide-19 के संक्रमण काल में मंडियाँ बंद होने के कारण किसान अपनी उपज बेचने मंडियों में नहीं आ पा रहा था। प्रदेश सरकार ने Covide-19 के संक्रमण के दृष्टिगत किसानों की भूमि उपज की बिक्री सुनिश्चित करने हेतु मण्डियों से बाहर किसानों के घर से ही सौदा पत्रक के आधार पर उपज की खरीदी किया जाना सुनिश्चित किया। केंद्र की मोदी सरकार की लोक-कल्याणकारी नीतियों से किसानों के जीवन में आशातीत सुधार होने लगे हैं। पीएम-किसान Scheme से किसानों के बैंक खातों में राशि सीधे ट्रांसफर होती है।

     यह क्रांतिकारी बदलाव है। इससे बिचौलियों की भूमिका को खत्म करने के सार्थक प्रयास किये गये हैं। प्रधानमंत्री स्वामित्व Scheme से भारत के ग्रामीण समाज का विकास और प्रगति से सीधे जुड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। भारत का आम किसान गाँवों में रहता है और उसके लिए खेती और उसकी मिट्टी सम्मान का प्रतीक है। प्रधानमंत्री स्वामित्व Scheme के अंतर्गत पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में जिन 6 राज्यों का चयन किया गया है, उसमें हमारा अपना मध्यप्रदेश भी है। Scheme के क्रियान्वयन में हरदा जिले के मसनगाँव के रामभरोस विश्वकर्मा को लाभ दिलाकर मध्यप्रदेश ने अग्रणी स्थान बनाया है।



किसानों को उपज का उचित एवं लाभकारी मूल्‍य प्राप्‍त हो, इसके लिए राज्य सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए कृषि के क्षेत्र में कई सुधार किए हैं। बरसों से गेहूँ उपार्जन के बाद चना, मसूर, सरसों के उपार्जन के निर्णय को किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल की पहल पर परिवर्तित कर गेहूँ के पूर्व चना, मसूर और सरसों के उपार्जन का महत्‍वपूर्ण निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि चना और सरसों की फसल गेहूँ की फसल के पहले आती है, ऐसे में किसानों को अब मजबूरी में कम कीमत पर बाजार में अपनी उपज को बेचने की जरूरत नहीं है। 


    सरकार का गेहूँ के पहले चना, मसूर और सरसों के उपार्जन का निर्णय किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ है। राज्य सरकार एक और अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए किसानों से ग्रीष्‍मकालीन मूंग को समर्थन मूल्‍य पर खरीद रही है। इससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर और अधिकतम मूल्‍य प्राप्‍त हुआ है। किसानों की आय को दोगुना करने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और Chief Minister श्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्‍प को पूरा करने में इससे बड़ी मदद मिली है।



मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास और स्वर्णिम मध्यप्रदेश की स्थापना में गाँव, गरीब और किसान की सशक्त सहभागिता के लक्ष्य को लेकर प्रदेश की वर्तमान सरकार लगातार काम कर रही है। मध्यप्रदेश की अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ किसान हैं। प्रदेश के किसान लगातार सफलता के कीर्तिमान गढ़ रहे है। कभी बीमारू राज्य कहा जाने वाला मध्यप्रदेश अब अपनी जन-कल्याणकारी और किसान हितैषी नीतियों के कारण कृषि उत्पादन और खुशहाली में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो गया है।



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5-Department of Agriculture, Madhya Pradesh



जीईआर बढ़ाने में विश्वविद्यालय भी योगदान दें: उच्च शिक्षा मंत्री डॉ यादव


उच्च शिक्षा मंत्री Dr Mohan Yadav ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय इस वर्ष पाठ्यक्रमों और विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए टास्क फोर्स गठित कर कार्य करें। प्रदेश में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ाने में विश्वविद्यालय भी योगदान दें।



डॉ. यादव मंत्रालय में प्रदेश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से जीईआर बढ़ाने पर चर्चा कर रहे थे। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि विश्व विद्यालय कैंपस के संसाधनों का विद्यार्थियों के लिए किस तरह से अधिकतम उपयोग हो सके, उसकी कार्य Scheme बनाई जाना चाहिए। नए व्यवसायिक पाठ्यक्रम खोले जाएं ताकि प्रदेश के साथ बाहर के विद्यार्थी भी आकर्षित हो। 

      विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम भी प्रारंभ किये जाए। अभी अधिकांश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम ही संचालित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में व्यापक स्तर पर शिक्षा संस्थानों द्वारा गाँव को गोद लेने का कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इसमें विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। म प्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय को इस कार्य के लिए नोडल एजेंसी बनाया जाएगा। बैठक में प्रमुख सचिव श्री अनुपम राजन भी उपस्थित थे।



बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. आर.जे. राव ने बताया कि विश्वविद्यालय आगामी सत्र से कृषि पाठ्यक्रम, 12 डिप्लोमा पाठ्यक्रम और कुछ विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम भी प्रारंभ कर रहा है। 

     भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जयंत सोनवलकर ने उद्योग जगत के सहयोग से उद्यमिता आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से जीआर बढ़ाने की जानकारी दी। दो विश्वविद्यालयों को परस्पर मिलाकर डिग्री पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर भी बैठक में चर्चा हुई। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडे ने बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा 128 नए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के इनक्यूबेशन सेंटर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ जोड़ा गया है।


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6-Department of Higher Education, Madhya Pradesh


शासकीय शिक्षा महाविद्यालयों के बी.एड. पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिये आवेदन 16 अगस्त से




राज्य शिक्षा केन्द द्वारा संचालित प्रदेश के 7 अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय और 2 प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थानों में संचालित बी.एड. पाठ्यक्रम में ऑनलाईन प्रवेश 16 अगस्त 2021 से प्रारंभ किए जा रहे है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष से प्रायवेट विद्यार्थी भी इन शासकीय संस्थाओं के बी.एड पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे। इससे पूर्व तक इन संस्थानों की सभी सीट्स, विभागीय शिक्षकों के लिये आरक्षित थीं।



संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र श्री धनराजू एस. ने बताया कि इच्छुक विभागीय एवं गैर-विभागीय अभ्यर्थी एम.पी.ऑनलाईन पोर्टल https://rsk.mponline.gov.in/ पर प्रवेश के लिये पंजीयन कर सकते है। इस सबंध में सभी अध्यापक शिक्षा महाविद्यालयों और प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थानों के प्राचार्यो को निर्देश जारी कर दिये गये है।

RM: https://bit.ly/3lZEkpg



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7-विद्युत वितरण कंपनी में जल्द लागू होगी "विद्युत प्रहरी Scheme



हानियों को रोकने एवं राजस्व वसूली हेतु स्थानीय नागरिकों को बनाया जाएगा विद्युत प्रहरी


ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा है कि राज्य में विद्युत वितरण कंपनियों में हानियों पर नियंत्रण एवं नगद राजस्व संग्रहण में वृद्धि करने के उद्देश्य से स्थानीय व्यक्तियों के माध्यम से ‘‘विद्युत प्रहरी Scheme‘‘ लागू की जा रही है। यह Scheme पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में एक वर्ष की अवधि के लिए भिण्ड, मुरैना, आगर, शाजापुर, छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिला मुख्यालयों के ऐसे फीडर अथवा वितरण ट्रांसफार्मरों के समूह में लागू की जाएगी , जिनमें हानियों का स्तर 60 प्रतिशत से अधिक हो।

      Scheme के परिणामों का विश्लेषण करने के बाद सभी कंपनियों के क्षेत्रांतर्गत आवश्यकतानुसार Scheme का विस्तार किया जाएगा। गौरतलब है कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा इस Scheme के संबंध में प्रस्ताव दिया गया था जिसे राज्य शासन द्वारा स्वीकृत कर पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है।



Scheme एक नजर में




Scheme का स्वरूप:- कंपनी क्षेत्रांतर्गत कतिपय स्थानों की सामाजिक पृष्ठभूमि एवं कानून व्यवस्था की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए सामान्य एन्फोर्स्मेन्ट/विजिलेन्स के अतिरिक्त विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता प्रतीत हुई है। अतः व्यापक स्तर पर सामुदयिक व्यवहार परिवर्तन के लिये इन चिन्हित स्थानों में स्थानीय व्यक्तियों को ‘‘विद्युत प्रहरी’’ नियुक्त करने के लिये निर्णय लिया गया है। 

   विद्युत प्रहरी सामुदायिक दबाव बनाकर एवं स्थानीय स्तर पर सामुदायिक सजगता के माध्यम से विद्युत हानि में कमी एवं नकद राजस्व संग्रहण में वृद्धि करेंगे। इन गतिविधियों से कंपनी को होने वाली अतिरिक्त बचत का एक अंश विद्युत प्रहरी के साथ साझा किया जाएगा।



विद्युत प्रहरी के चयन के लिये प्रक्रिया




विद्युत प्रहरी के लिये व्यक्ति/व्यक्तियों के समूह/स्व-सहायता समूह (एंजेसी) के चयन के लिये चिन्हित फीडर/डीटीआर समूह के लिये उन जिलों के निवासी से आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। आवेदन पत्र के साथ एजेंसी को 5000 रूपये की वापसी योग्य ईएमडी भी जमा करनी होगी। एजेंसी का चयन निर्धारित स्थान एवं समय पर सार्वजनिक रूप से पारदर्शी लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। चयनित एजेंसी को 15 दिवस के भीतर बेसलाइन वर्ष के औसत मासिक नकद राजस्व संग्रहण के 25 प्रतिशत (यदि एजेंसी फीडर स्तर पर काम कर रही है)/50 प्रतिशत (यदि एजेंसी डीटीआर समूह स्तर पर काम कर रही है) की राशि सुरक्षा निधि के रूप में जमा करनी होगी।



विद्युत प्रहरी के दायित्व




विद्युत प्रहरी का मूल दायित्व चिन्हित फीडर/डीटीआर समूह के क्षेत्र में विद्युत चोरी को रोकना एवं नकद राजस्व संग्रहण में वृद्धि करना है। साथ ही अवैध विद्युत कनेक्शन/ हुकिंग को विच्छेदित करना। विद्युत बिल राशि न चुकाने वाले उपभोक्ताओं के कनेक्शन विच्छेदित करना। उपभोक्ता के परिसर में स्थापित मीटर से टैंपरिंग रोकना। प्रत्येक उपभोक्ता से चालू माह एवं पूर्व बकाये की राशि का संग्रहण करना। बिल राशि का संग्रहण एजेंसी कंपनी द्वारा प्रदाय पीओएस मशीन/निष्ठा एप के माध्यम से करते हुए उपभोक्ता को मशीन सृजित पावती प्रदान की जाएगी। विद्युत कनेक्शन विच्छेदन/रीकनेक्शन के लिये एजेंसी को स्वयं के व्यय से विद्युत लाइन पर कार्य करने के लिये कर्मचारी का ओवरहेड सर्टिफिकेशन प्राप्त कर नियोजन करना होगा।



वितरण कंपनी का दायित्व




उपभोक्ताओं के परिसर में स्थापित मीटरों की रीडिंग लेकर प्रतिमाह बिल प्रदान करना। नए सर्विस कनेक्शन प्रदान करना। एजेंसी के अधिकृत कर्मचारियों को लाइन पर कार्य करने के लिये नियमानुसार परमिट प्रदान करना। एजेंसी के अनुरोध अनुसार विधि अनुरूप विजिलेन्स केस तैयार करना। एजेंसी को नकद राजस्व संग्रहण के लिये पॉस मशीन (मशीन की सुरक्षा निधि जमा करने के उपरांत) एवं सॉफ्टवेयर उपलब्ध करना। संधारण एवं एफओसी काल के लिये समस्त कार्यवाही करना।



एजेंसी को देय राशि की गणना के लिये प्रक्रिया




एजेंसी को उसके द्वारा किए गए कार्य के लिये एक तय पारिश्रमिक न देते हुए एजेंसी के कार्यों के परिणाम स्वरूप कंपनी को हुई बचत का एक अंश दिया जाएगा। चिन्हित फीडर/ डीटीआर समूह में विद्युत आपूर्ति ट्रैगेटरी के अनुसार इनपुट कमी लक्ष्य के पश्चात हुई अतिरिक्त कमी के कारण हुई बचत का 40 प्रतिशत अंश एजेंसी को देय होगा। चिन्हित फीडर/ डीटीआर समूह में नकद संग्रहण ट्रैगेटरी के अनुसार नकद संग्रहण लक्ष्य में वृद्धि के पश्चात हुए अतिरिक्त नकद संग्रहण का 40 प्रतिशत अंश एजेंसी का देय होगा। किसी भी माह में नकद संग्रहण लक्ष्य के कमी को अगले माह के नकद संग्रहण लक्ष्य में जोड़ा जाएगा।



विद्युत प्रहरी को इस Scheme के अंतर्गत अनुबंध किए जाने पर विद्युत वितरण कंपनी के किसी भी स्थाई/अस्थाई या संविदा या अन्य पदों पर लाभ पाने का कोई अधिकार या छूट की पात्रता या प्राथमिकता प्राप्त नहीं होगी।



सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News)

8-सिविल सेवाओं में सीधी भर्ती पर लगे प्रतिबंध को किया शिथिल


राज्य शासन ने सिविल सेवाओं के लिये भर्ती पर लगे प्रतिबंध को शिथिल किया है। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने सिविल सेवाओं के लिए स्वीकृत कुल पदों के 5 प्रतिशत तक रिक्त पदों को भरने के लिए वित्त विभाग द्वारा वर्ष 2019 में लगाये गये शर्त को शिथिल करते हुए प्रशासकीय विभाग को अधिकृत किया है। 

     पाँच प्रतिशत से अधिक सीधी भर्ती के रिक्त पदों को भरने की स्वीकृत के लिए वित्त विभाग की सहमति आवश्यक होगी। सीधी भर्ती के रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रकिया को तत्परता से पूर्ण करने लिए वित्त विभाग द्वारा निर्देश जारी कर दिये गये हैं।



वित्त विभाग द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार प्रत्येक सिविल सेवा में वर्ष प्रथम जनवरी की स्थिति में सीधी भर्ती में रिक्त पदों की गणना की जायेगी। सांख्येतर पदों पर कार्यरत को नियमित पदों के विरूद्ध गणना में लिया जायेगा। 

     सवंर्ग में स्वीकृति पदों की कुल संख्या के आधार पर 5 प्रतिशत की गणना की जायगी। संवर्ग की कुल पद संख्या का 5 प्रतिशत अथवा संवर्ग की सीधी भर्ती के रिक्त पदों की संख्या में से जो कम हो, पर ही नियुक्ति की प्रक्रिया प्रशासकीय विभाग द्वारा की जा सकेगी। सीमा से अधिक पदों पर नियुक्ति की प्रकिया के लिए वित्त विभाग द्वारा निहित प्रकिया का पालन किया जाना होगा। सीधी भर्ती के लिए निधारित अन्य शर्तो जैसे आरक्षण नियमों आदि का पालन करने का दायित्व संबंधित विभाग का होगा।







सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News)

9-प्रदेश को मिलेगी 7206 लाख की अनुदान राशि




ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने दिल्ली में केन्द्रीय विद्युत मंत्री श्री सिंह से की भेंट




ऊर्जा मंत्री श्री Pradhuman Singh Tomar ने नई दिल्ली में केन्द्रीय विद्युत, नव एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री Raj Kumar Singh से भेंट कर प्रदेश की ऊर्जा संबंधी विभिन्न समस्याओं के संबंध में चर्चा की। श्री तोमर ने मध्यप्रदेश के लिये भारत सरकार में लंबित अनुदान राशि लगभग 7206 लाख रुपये जारी करने का अनुरोध किया। श्री सिंह ने प्रदेश को जल्द ही अनुदान राशि जारी करने का आश्वासन दिया।



3862 करोड़ की कार्यशील पूँजी हेतु ऋण का प्रस्ताव




ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने केन्द्रीय विद्युत मंत्री से 3862 करोड़ रुपये की कार्यशील पूँजी के लिये ऋण प्रस्ताव के अनुमोदन का भी अनुरोध किया। इस राशि के अनुमोदन के बाद आरईसी द्वारा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी को 562 करोड़, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी को 1200 करोड़ और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी को 2100 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होना संभावित है।

     श्री तोमर ने आरडीएसएस स्कीम में मध्यप्रदेश को प्राप्त होने वाली सब्सिडी की शर्तों को Covide तथा बाढ़ की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शिथिल करने का अनुरोध किया। उन्होंने ग्वालियर शहर तथा ग्वालियर में स्थित पर्यटन स्थलों के लिये सोलर ऊर्जा हेतु विशेष Scheme लागू करने का भी अनुरोध किया। इसके साथ ही ऊर्जा क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण, उत्पादन, वितरण तथा उपभोक्ताओं की बेहतर सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए नई Schemeओं के संबंध में भी विस्तार से चर्चा हुई।



ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने साँची शहर को सोलर सिटी घोषित करने पर केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को धन्यवाद दिया और उन्हें मध्यप्रदेश आने का निमंत्रण दिया।

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