src='https://www.googletagmanager.com/gtag/js?id=G-892JG4KGS4'/> सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 26/08/2021 दिन thrusday

सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 26/08/2021 दिन thrusday



सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 26/08/2021 दिन thrusday



सुप्रभात मध्यप्रदेश - आज की मुख्य खबर ( Breking News) दिनाक 26082021 दिन thrusday


1-स्कूलों की पाठ्य पुस्तक वितरण व्यवस्था हुई ऑनलाइन

2-लकड़ी और बाँस उत्पादक किसानों को अब अनुज्ञा पत्र की होगी Online सुविधा

3-गुणवत्ता के लिए नैक मूल्यांकन जरुरी


जियो टैग तकनीक आधारित होगा पुस्तकों का ट्रैकिंग ऐप




वर्तमान सत्र में लगभग 3 करोड़ 55 लाख पुस्तकें होगी वितरित


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राज्य शिक्षा केंद्र ने वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्कूली छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण के लिए एन आई सी के सहयोग से ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम तैयार किया है। इस सिस्टम से पाठ्य पुस्तक निगम से प्रिंटिंग के बाद School स्तर पर बच्चों को वितरण तक पुस्तकों की ट्रैकिंग ऑनलाइन ऐप पर की जा सकेगी। संचालक राज्य शिक्षा केंद्र श्री धनराजू एस ने बताया कि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तकों की जियो फेन्स तकनीक के साथ पूर्णतः पारदर्शी और ऑनलाइन व्यवस्था करने वाला संभवत पहला राज्य है।



श्री धनराजू ने बताया कि इस पारदर्शी और पेपर लेस व्यवस्था में विभिन्न स्तरों पर जियो टैगिंग और पैकिंग की व्यवस्था रखी गई है। पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो से विकासखण्ड के लिए पुस्तक वितरण चालान बनते ही विकासखण्ड अधिकारी को मोबाइल एप पर परिवहन वाहन के नंबर वाला अलर्ट प्राप्त हो जायेगा। पुस्तकें प्राप्त होने के बाद विकासखण्ड अधिकारी चालान की पावती मोबाइल एप के माध्यम से ही पाठ्य पुस्तक निगम को प्रेषित करेंगे। विकासखण्ड या School के लिए पुस्तकों की ऑर्डर संख्या के साथ विषयवार प्राप्त पुस्तकों और शेष पुस्तकों की जानकारी मोबाइल एप पर उपलब्ध होगी।



Block Lebal पर प्राप्त पुस्तकों को विकासखंड समन्वयक अपने विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में दर्ज नामांकन के अनुसार School वार ऑनलाइन डिस्पैच आर्डर बनाएगा। डिस्पैच ऑर्डर बनाने के लिए विकासखंड समन्वयक को कोई भी डाटा एंट्री नहीं करनी पड़ेगी। विकासखंड School की लोकेशन के अनुसार रूट चार्ट तैयार करके ट्रांसपोर्ट आर्डर बनाए जायेगे। प्रधानाध्यापक को School के डिस्पैच आर्डर का अलर्ट उनके मोबाइल पर प्राप्त होगा, जिसमें वाहन क्रमांक, चालक का नाम और मोबाइल नंबर की जानकारी होगी। प्रधानाध्यापक स्वयं भी चालक से दूरभाष पर संपर्क कर पाठ्य पुस्तकों की शाला में डिलीवरी के लिए समन्वय कर सकते हैं। शाला स्तर पर प्राप्त पुस्तकों में कुछ पुस्तकों की कमी या क्षतिग्रस्त प्राप्त होने पर, उसकी रिपोर्टिंग की सुविधा भी मोबाइल एप पर दी गई है। प्रधानाध्यापक के शाला परिसर में उपस्थित होने पर ही पुस्तकों की डिलीवरी दी जायेगी, इसे जिओ टैगिंग से ट्रैक किया जायेगा।



प्रधानाध्यापक अपने School में एप के माध्यम से ही कक्षावार दर्ज बच्चों के नाम से पुस्तकों का वितरण करेंगे। यदि शाला में पुस्तक वितरण के उपरांत कोई नवीन नामांकन होता है तो मोबाइल ऐप अलर्ट देगा कि नवीन दर्ज बच्चे को पुस्तक वितरण किया जाना अभी पेंडिंग है। इसी तरह यदि किसी कक्षा में इनरोलमेंट कम हुआ है तो प्राप्त अतिरिक्त पुस्तकों को मोबाइल ऐप के माध्यम से ही वापस भेजने की रिक्वेस्ट भी प्रधानाध्यापक द्वारा की जा सकेगी।



श्री धनराजू ने बताया कि वर्तमान सत्र में लगभग 3 करोड़ 55 लाख से अधिक पाठ्य पुस्तकों का वितरण इस ऐप के माध्यम से सुनिश्चित किया जा रहा है। लगभग तीन करोड़ 27 लाख से अधिक पाठ्यपुस्तक के विकासखंड कार्यालय से प्राप्त की जाकर कक्षा पहली से आठवीं तक संचालित लगभग 94 हजार से अधिक शासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों तक पहुंचाई जा रही है।





2-लकड़ी और बाँस उत्पादक किसानों को अब अनुज्ञा पत्र की होगी Online सुविधा




प्रायोगिक रूप से मध्यप्रदेश के अलावा तेलंगाना राज्य में होगी यह नई व्यवस्था




प्रदेश के वन विभाग में लकड़ी और बाँस उत्पादक किसानों और परिवहन कर्ताओं को परमिट प्राप्त करने और नाके पर होने वाली कठिनाईयों को मद्देनजर अब अनुज्ञा पत्र Online के जरिए मिल सकेंगे। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नेशनल ट्रांजिस्ट पास सिस्टम के तहत प्रायोगिक रूप से मध्यप्रदेश और तेलंगाना राज्य का चयन किया है।



प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री रमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि परमिट जारी करने के लिए “एप्लिकेशन एप” लाँच किया गया है। इसमें वनोपज व्यापारी और किसान लकड़ी-बाँस के अंतर्राज्जीय के साथ राज्य के भीतर परिवहन के लिए Online अनुज्ञा प्राप्त कर सकेंगे। Online यह सुविधा होने से वन विभाग के संबंधित कार्यालय में चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ परिवहन लागत और समय की बचत से व्यापारियों को लाभ मिलेगा और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।



नई व्यवस्था यह होगी




वन विभाग द्वारा विकसित “एप्लिकेशन वेब पोर्टल” और “मोबाईल एप” के माध्यम से लकड़ी और बाँस परिवहन के लिए Online पंजीकरण कर आवेदन कर ई-भुगतान प्रणाली से भुगतान भी कर सकेंगे।



मोबाईल एप की मदद से मूल स्थान से गंतव्य स्थल तक राज्य की सीमाओं पर निर्वाध रूप से परिवहन किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि देश में लकड़ी, बाँस और अन्य वनोपजों के परिवहन अलग-अलग राज्यों के विभिन्न कानूनो और नियमों पर आधारित है। एक राज्य में जिस वनोपज को मुक्त रखा गया है वहीं दूसरे राज्य में इसके लिए अनुज्ञा पत्र प्राप्त करना आवश्यक है। इस व्यवस्था में बदलाव लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पारगमन पास प्रणाली लागू होने से पूरे भारत में एक परमिट की सुविधा प्रदान की जाएगी।



वन बल प्रमुख श्री गुप्ता ने बताया कि इस प्रणाली के सफल क्रियान्वयन के लिए विभाग ने ट्रांजिस्ट नियमों में जरूरी संशोधन कर नए नियम राजपत्र में 13 मई 2021 को प्रकाशित कर दिए गए हैं। Online पंजीकरण और आवेदन से संबंधित समग्र जानकारी https://ntps.nic.in और https://mpforest.gov.in/Ho_Outer/LS_NTPS.aspx लिंक पर उपलब्ध है।





3-गुणवत्ता के लिए नैक मूल्यांकन जरुरी




राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिये विश्वविद्यालय आगे आयें




आत्मनिर्भर भारत में विश्वविद्यालय करें सहयोग




Governor MP श्री पटेल ने विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 99वीं बैठक मे दिए निर्देश




राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिये प्रदेश के विश्वविद्यालयों को आगे आना होगा। नीति की मंशा के अनुसार शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने, कौशल संर्वधन, उद्योगों से साझेदारी, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अकादमिक साझेदारी के क्षेत्रों में विशेष प्रयास किए जाए। उन्होंने गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उदेश्य से नैक से मूल्याकंन कराये जाने की भी जरुरत बताई। इस बात पर भी बल दिया है कि प्रदेश के शासकीय, निजी विश्वविद्यालय देश के सर्वोत्तम उच्च शिक्षा संस्थानों में शामिल होने के लिये प्रयास करे।



राज्यपाल बुधवार को राजभवन में आयोजित विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 99वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में राज्यपाल के प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, विधि-विधायी, वित्त और शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे।



राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय उनके दायित्वों में सामाजिक सरोकारों को शामिल करें। विश्वविद्यालयों की गतिविधियों में कुछ गांवों को गोद लेकर, उनमें केन्द्र एवं राज्य शासन की योजनाओं के लाभ हितग्राही तक पहुंचाने में सहयोग करे। स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, कृषि, स्वास्थ परीक्षण आदि विषयों पर कार्य किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर संचालित आत्मनिर्भर भारत के परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा आत्म निर्भर मध्यप्रदेश कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इसके लक्ष्यों की पूर्ति में विश्वविद्यालयों का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने विश्वविद्यालयों से कहा कि नई ऊर्जा के साथ शिक्षण व्यवस्था को पुनः पटरी पर लाएं और बेहतर शैक्षणिक वातावरण का निर्माण करें। उन्होंने अकादमिक कैलेण्डर का पालन करना विश्वविद्यालयों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बताई है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर हमारे युवा वर्ग की चेतना एवं चरित्र का निर्माण की जिम्मेदारी है अत: वे अपने व्यवहार और आचरण से युवाओं में एक अच्छे चरित्र का निर्माण करें ताकि भारत का भविष्य उज्जवल रहे।



राज्यपाल ने कहा कि कोरोना काल में शिक्षा में तकनीक के प्रयोग से हमें काफी कुछ सीखने को मिला है। यह एक ऐसी विधा है जिसमें शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को बेहतर कौशल हासिल करना होगा। इसके लिए अच्छी व्यवस्थाएँ बनानी होंगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के अधिनियमों के प्रावधानों में विभिन्नता होने से पूरी कार्यशैली में अंतर हो जाता है। कार्यशैली में यथासम्भव एकरूपता के लिए विश्वविद्यालयों के अधिनियमों का पुनरावलोकन किया जाये, उसमें अपेक्षित सुधार भी किये जायें।



उच्च शिक्षा मंत्री Dr Mohan Yadav ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एकजुट प्रयासों का एक नया फलक दिखाई देने लगा है। व्यवस्था नये परिवेश और कलेवर के साथ उड़ान भरने को तैयार है। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसी शिक्षा सत्र से अंगीकृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नीति की मंशा के साथ कदम ताल करते हुए प्रथम वर्ष की तैयारी पूर्ण हो गई है। केन्द्रीय अध्ययन मंडल द्वारा 79 विषयों का पुनर्गठन किया गया है। उच्च शिक्षा में सकल नामांकन में राज्य तेजी से राष्ट्रीय औसत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में समग्र दृष्टि के साथ कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों को आर्थिक प्रबंधन पर ध्यान देने की जरुरत बताई। उन्होंने कहा कि वित्तीय संसाधनों में वृद्धि के प्रयास किए जाने चाहिए। रिक्त पदों पर शीघ्रता से भर्ती करने और विश्वविद्यालयों की शुल्क एवं अर्थदंडों की व्यवस्था में भी एकरुपता लाने की जरुरत बताई।



बैठक के प्रारम्भ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन ने बैठक के एंजेंडे का बिन्दुवार प्रस्तुतिकरण दिया।


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